देश मे EVM का विरोध अब गंभीर स्वरूप लेने लगा है l आम जन मानस , विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग इसकी विश्वसनीयता पर संदेह प्रकट करने लगा है l उनका मानना है कि यह मशीन लोकतंत्र के लिए खतरा बन गयी है l
भारत मे संचार क्रांति के सूत्रधार टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वह बेहद जल्द अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ इसे अपनी सुविधा के अनुसार कैसे नियंत्रित किया जा सकता है और इसमें हस्तक्षेप कैसे संभव है, इसका खुलासा करेंगे। उन्होंने राजनीतिक दलों से EVM के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू करने और मतदान के बहिष्कार के बारे में भी विचार करने को कहा।
पित्रोदा ने कहा कि अभी भारत में इस्तेमाल की जा रही EVM मशीन कोई “स्टैंड अलोन मशीन” नहीं है। सैम का कहना है कि इसमें समस्या तब पैदा हुई, जब वीवीपैट मशीन को EVM से जोड़ा गया। उन्होंने कहा, ”वीवीपीएटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बना एक अलग उपकरण है।” वीवीपैट को EVM से जोड़ने के लिए एक विशेष कनेक्टर का उपयोग किया जाता है, जिसे एसएलयू कहा जाता है।
यह एसएलयू कई सवाल खड़े करता है। एसएलयू कनेक्टर ही वीवीपैट में दिखाता है कि किस बटन से वोट किस पार्टी को जाएगा। इसे मतदान से पहले प्रोग्राम किया जाता है। एसएलयू जोड़ने के बाद EVM अब अकेली मशीन नहीं रह गई है।
पित्रोदा का मानना है कि इसमें वो सभी तरह के काम किए जा सकते हैं, जिनके बारे मे संदेह व्यक्त किया जा रहा है। वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची वर्तमान में थर्मल प्रिंटर के माध्यम से जारी की जाती है और इसे केवल कुछ हफ्तों तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है, इसके बजाय एक ऐसे प्रिंटर का उपयोग किया जाना चाहिए, जो अगले पांच वर्षों तक पर्ची को सुरक्षित रख सके l
उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह है कि यह पर्ची केवल कुछ समय के लिए मतदाता को नहीं दिखाई जानी चाहिए, बल्कि इसे एक कागज पर मुद्रित करके उसे दे दिया जाना चाहिए, जिसे वह अलग से रखे गए बक्से में वोट के रूप में डाल सके और यह बॉक्स को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से कनेक्ट नहीं किया जाना चाहिए। पित्रोदा ने बताया कि वो तकनीकी विशेषज्ञों के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के समक्ष EVM पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले है l