जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। राजस्थान में कांग्रेस को हराकर बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है। तीन दिसंबर को चुनाव के नतीजे आ गए थे लेकिन अभी तक राजस्थान के अगले सीएम को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है।
राजस्थान में सीएम की दौड़ में एक नहीं कई नाम है लेकिन इसमें एक नया नाम महंत बालकनाथ का है। जो एकदम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरह राजस्थान के नये सीएम बनने की राह पर है। जब सभी सांसदों ने इस्तीफा दे दिया था तब तक विधान सभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले महंत बालकनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया था तब ये अटकले लग रही थी कि वो बतौर सांसद बने रहेंगे और राजस्थान की सीएम से उनका नाम हट गया लेकिन कल अचानक से यानी गुरुवार को उन्होंने अपनी सांसदी छोड़ दी थी तब ये समझ में आने लगा कि राजस्थान के अगले सीएम के तौर पर उनकी ताजपोशी हो सकती है।
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी उनके नाम पर गम्भीर रूप से विचार कर रहा है। राजस्थान की सियासत को करीब देखने वालों की माने तो बीजेपी अगर महंत बालकनाथ को सीएम बना देती है, इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि आपको अगर याद होगा कि कैसे योगी एकाएक यूपी में सीएम फेस बनकर सामने आ गए थे ठीक वैसे ही अब ये कहा जा रह है कि अगर बीजेपी राजस्थान में जीत हासिल करती है तो वो वसुधरा के बजाये महंत बालक नाथ योगी उर्फ बाबा बालकनाथ को सीएम बनाने पर विचार कर सकती है।
राजस्थान में तिजारा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार महंत बालकनाथ भी यूपी के सीएम योगी नक्शे कदम पर चल रहे हैं और उनके बयानों में योगी की झलक दिखती है। तिजारा सीट पर कांग्रेस के इमरान खान को 6173 वोटों से हराकर राजस्थान के सीएम के तौर पर देखा जा रहा है।
कौन है बाबा बालकनाथ
बाबा बालकनाथ का जन्म 16 अप्रैल 1984 राजस्थान के अलवर में हुआ था। किसान सुभाष यादव व उर्मिला के घर जन्म हुआ। हालांकि जीवन के शुरुआती दिनों में लोग उनको पंकज के नाम से जानते थे लेकिन बाद में साधु-संतों के बीच रहने लगे थे। इस वजह से पंकज से गुरुमुख और फिर महंत बाबा बालकनाथ के नाम से लोगों ने आगे पुकारना शुरू कर दिया।
राजस्थान चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाले बालकनाथ अब सीएम के तौर पर देखे जा रहे हैं। सुभाष यादव की माने तो नीमराना स्थित मंदिर में खेतानाथ व सोमनाथ महाराज के पास जाता था। उन्होंने सेवा के लिए एक बेटा मांग लिया था। उन्होंने बताया कि जब वो छह साल के थे तब खेतानाथ महाराज उनको लेने आए थे।
बेटे पंकज को उनके पास भेजने से पहले दादी संतरा की इजाजत मांगनी पड़ी थी और जब उन्होंने इसकी इजाजत दी तो पंकज (बालकनाथ) ने गृहस्थ जीवन छोड़ दिया और इसके बाद दादी की मौत पर 32 साल की उम्र में घर आए थे। गृहस्थ जीवन छोडऩे के बाद बालकनाथ ने अपने गुरु चंचलनाथ को ही पिता के तौर पेश करते हैं।
इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब तिजारा सीट पर चुनाव शपथ पत्र में भी पिता का नाम चंचलनाथ लिखा है। कुल मिलाकर सीएम योगी की तरह अब वो भी सीएम के तौर पर देखे जा रहे हैं। अब देखना होगा क्या बीजेपी उनको सीएम बनाती है या नहीं।