जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊः राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी अलग ही रणनीति के साथ उतरने वाली है। तमाम केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़वाया जा रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सियासत में भी खलबली मच गई है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में कई निवर्तमान सांसदों का प्रदर्शन के आधार पर टिकट कटने की संभावना है।
बताया जा रहा है कि यूपी सरकार के कई मंत्री और विधायक सांसदी का चुनाव लड़ने में दिलचस्पी ले रहे हैं। इसने बीजेपी के अंदर ही एक ऐसी प्रतियोगिता को जन्म दे दिया है, जिससे सत्ताधारी पार्टी के भीतर हलचल बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश की 75 सीटों पर जीत का लक्ष्य
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की 75 सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही है। यूपी में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं। ऐसे में इस राज्य में अगर प्रदर्शन शानदार रहता है तो अन्य राज्यों की कम सीटों की भरपाई की जा सकती है। यूपी में बीजेपी की सरकार है और लगातार दो चुनावों से प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी का कब्जा भी रहा है। ऐसे में पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भी किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि टिकट बंटवारे में परफॉर्मेंस को मुख्य आधार बनाया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो कई सांसदों के टिकट कट सकते हैं और यूपी में भी तमाम सीटों पर विधायकों को योगी सरकार के मंत्रियों को लड़वाया जा सकता है।
यूपी के कई मंत्रियों और विधायकों ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के टिकट की जोरदार मांग की है। दावेदारों की लंबी सूची में पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भी शामिल हैं और यह लगातार लंबी होती जा रही है। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने अभी तक टिकट वितरण के मानदंड तय नहीं किए हैं, लेकिन यह बात साफ है कि पार्टी ऐसे उम्मीदवारों का चयन करेगी जो राज्य में कम से कम 75 सीटों पर जीत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकें। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, जो वरिष्ठ मंत्री चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं उनमें धर्मपाल सिंह, जितिन प्रसाद, बेबी रानी मौर्य, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, दया शंकर सिंह और चौधरी लक्ष्मी नारायण शामिल हैं।
किसकी किस सीट पर है नजर
सूत्रों का कहना है कि पशुपालन मंत्री धर्मपाल एक समय यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनने की दौड़ में थे लेकिन अब उनकी नजर आंवला लोकसभा सीट पर है। इस सीट से साल 2014 से बीजेपी के धर्मेंद्र कश्यप सांसद हैं। साल 2009 में मेनका गांधी ने यहां से जीत हासिल की थी। कांग्रेस से बीजेपी में आए पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद भी लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। उनकी पहली पसंद गृह क्षेत्र धौरहरा है, लेकिन अगर शीर्ष नेतृत्व उन्हें एमपी का टिकट देने की योजना बनाता है, तो वह खीरी या पीलीभीत से भी चुनाव लड़ सकते हैं।
धौरहरा से फिलहाल बीजेपी की कुर्मी नेता रेखा वर्मा सांसद हैं। इसी तरह बाल विकास और पुष्टाहार मंत्री बेबीरानी मौर्य की नजर आगरा लोकसभा क्षेत्र पर है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल कर रहे हैं। हालांकि, ऐसी अटकलें हैं कि अगर पार्टी थिंक टैंक प्रफेसर राम शंकर कठेरिया की जगह उन्हें टिकट देने का फैसला करता है तो कठेरिया को इटावा ट्रांसफर किया जा सकता है। बेबीरानी मौर्य पहले उत्तराखंड की राज्यपाल और आगरा की मेयर भी रह चुकी हैं।
रीता बहुगुणा जोशी को नहीं मिलेगा टिकट
बताया जा रहा है कि योगी सरकार के अन्य वरिष्ठ मंत्रियों में नंद गोपाल ‘नंदी’ अपने गृह क्षेत्र प्रयागराज से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। ऐसी अटकलें हैं कि वर्तमान सांसद रीता बहुगुणा जोशी को टिकट नहीं मिलेगा क्योंकि अगले साल वह 75 साल की हो जाएंगी। साल 2014 में ही भाजपा नेतृत्व ने चुनाव लड़ने के लिए नेताओं के उम्र की यह सीमा तय कर दी थी। गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण की नजर मथुरा सीट पर है। परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह, जो कई केंद्रीय नेताओं के करीबी हैं, बलिया सीट में रुचि रखते हैं। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण इटावा या बुलंदशहर से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
सिद्धार्थ नाथ सिंह की नजर फूलपुर लोकसभा सीट पर, सतीश द्विवेदी की सिद्धार्थनगर पर, सुरेश राणा की सहारनपुर पर और आनंद शुक्ला की नजर चित्रकूट सीट पर है। शर्मा के अलावा मांट विधायक राजेश चौधरी मथुरा सीट के दूसरे दावेदार हैं। अन्य मौजूदा विधायकों मेंअंजुला महौर की भी कथित तौर पर हाथरस सीट पर नजर है। अनूपशहर विधायक संजय शर्मा अलीगढ़ लोकसभा सीट को लेकर उत्साहित हैं। सरोजनीनगर विधायक राजेश्वर सिंह सुल्तानपुर सीट से तैयारी कर रहे हैं तो दातागंज विधायक राजीव सिंह बब्बू बदायूं से दावेदारी की तैयारी कर रहे हैं।
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उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह फिर से रायबरेली में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चुनौती देने की फिराक में हैं। 2019 में वह सोनिया से 1.67 लाख वोटों से हार गए थे। अगर पार्टी मौजूदा सांसद वरुण गांधी को बदलने का फैसला करती है तो योगी के मंत्री बलदेव सिंह औलख पीलीभीत से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। एक अन्य मंत्री संजय गंगवार की भी इसी सीट पर नजर है। पश्चिम यूपी से मंत्री सोमेंद्र तोमर और अनूप बाल्मीकि क्रमशः कैराना और हाथरस को लेकर उत्सुक हैं। पूर्व मंत्रियों में श्रीकांत शर्मा भी मथुरा लोकसभा सीट के दावेदार हैं।