- भारत ने G20 समिट में अपनी कूटनीतिक जीत का परचम लहराया
डा. सीमा जावेद
उम्मीदों के विपरीत, हाल ही में अयोजित हुई G20 समिट में भारत ने एक कूटनीतिक जीत का प्रतिनिधित्व किया जिसने दुनिया में भारत की भागीदारी के कई दरवाजे खोल दिये हैं। इनमें मिडिल ईस्ट, यूरोप सहित अमेरिका और एशिया के अनेक देश शामिल हैं। केवल इतना ही नहीं बल्कि इस में भारत ने उम्मीदों के विपरीत अपनी कूटनीतिक जीत का परचम लहराया।
शिखर सम्मेलन के पहले दिन भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) का ऐलान हो गया। वहीं जी-20 में के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ का शामिल होना एक ऐतिहासिक क्षण था , जिसने समूह को और समावेशी बना दिया है।
अफ्रीकी यूनियन के भागीदार बनने से अब G21 समूह बन गया है । उसके इस समूह में शामिल हो जाने से चीन और रूस के अफ्रीकी देशों में बढ़ते हस्ताक्षेप को रोकने में मददगार होगा।
समिट में, ग्लोबल ट्रांसपोर्ट में पेट्रोल और डीजल के उपयोग को कम करने और स्वच्छ ईंधन को अपनाने में तेजी लाने के उद्देश्य से, ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (जीबीए) की शुरुआत हुई। अनेक देश देश परिवहन ईंधन के रूप में उपयोग के लिए पेट्रोल में इथेनॉल की हिस्सेदारी बढ़ाने का इच्छुक है।
IMEC प्रोजेक्ट दरअसल एक रेल और शिपिंग कॉरिडोर होगा जिसके जरिए एशिया से यूरोप तक व्यापार किया जाएगा। IMEC ‘पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट’ (PGII) का हिस्सा है। PGII जी7 देशों का एक प्रयास है, जिसके जरिए विकासशील देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए फंडिंग दी जाती है. PGII को चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट से निपटने के लिए लाया गया है. IMEC का मकसद प्रोजेक्ट में शामिल देशों के बीच व्यापार बढ़ाना है। कॉरिडोर में रेल लिंक के साथ-साथ एक इलेक्ट्रिसिटी केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डाटा केबल होगा ।
ऐलान के साथ ही यूरोपीय यूनियन ने 2021-27 के दौरान बुनियादी ढांचे के खर्च के लिए जो 300 मिलियन यूरो निर्धारित किए थे उनमें भारत की भागीदारी अब तय है। कॉरिडोर बनने से भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में करीब 40% समय की बचत होगी। यूरोप तक सीधी पहुंच बन जाने से भारत के लिए आयात-निर्यात आसान और सस्ता होगा। जो भारत के उद्योग जगत के मिडल ईस्ट और यूरोप में पाँव पसारने का मार्ग प्रशस्त करेगा।इससे भारत की मध्य एशिया से जमीनी( ग्राउंड) कनेक्टिविटी का रास्ता निकाल आया जो अब तक वह केवल पाकिस्तान से होकर ही था।भारत, UAE, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय यूनियन सहित के साथ साथ इस प्रोजेक्ट का फायदा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा।
भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) से भारत की अरब देशों के साथ भागीदारी और मज़बूत कनेक्टिविटी बनना तय है। मुंबई से शुरू होने वाला यह नया कॉरिडोर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विकल्प होगा। यह कॉरिडोर 6 हजार किमी लंबा होगा। इसमें 3500 किमी समुद्र मार्ग शामिल है। अनेक देशों की चीन के ऊपर एकमात्र निर्भरता नहीं रहेगी उनके पास दूसरा विकल्प होगा।
ध्यान से अगर देखा जाये तो भारत के राजनीतिक नेतृत्व के उभरते इतिहास में 2023 एक महत्वपूर्ण वर्ष है। इसमें दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी20 की अध्यक्ष होने के नाते जलवायु परिवर्तन से जूझ रही दुनिया को इसे रोकने में क्लाइमेट एक्शन यानी जलवायु कार्यवाही के मामले में कामयाबी शामिल है।
अब तक ऐसा समझा जा रहा था कि रूस-युक्रेन के बीच जारी जंग, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस बैठक से परहेज करने के निर्णय से यह संकेत मिल रहे थे कि बैठक में कई प्रमुख मुद्दों पर आम सहमति बनने में मुश्किलें आयेंगी। जी20 सम्मेलन में उम्मीदों के विपरीत सदस्य राष्ट्र एक सर्वसम्मत सहमति पर पहुंचे और नई दिल्ली घोषणा को अपनाया।
यह भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत का प्रतिनिधित्व करता है, जिसने सदस्य देशों के बीच किसी भी विभाजन को रोकने के लिए अथक प्रयास किया । यह व्यापक दस्तावेज वैश्विक चिंताओं के व्यापक स्पेक्ट्रम को संबोधित करता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए कार्यवाही भी शामिल है, जो अपनी अध्यक्षता के दौरान जी20 के भारत के सफल नेतृत्व को रेखांकित करता है।
केवल इतना ही नहीं बल्कि सोलर गठबंधन से लेकर बायो फ्यूल गठबंधन और IMEC के ऐलान ने दुनिया के ज्यादातर देशों के साथ भारत की भागीदारी की राह को मज़बूत किया ।