जुबिली न्यूज डेस्क
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान दिल्ली में हो रही G20 समिट में हिस्सा लेने अगले महीने भारत आ रहे हैं। यह समिट 9 और 10 सितंबर को होगी। वह 11 सितंबर से भारत की राजकीय यात्रा पर भी रहेंगे। इस दौरे में दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने, एनर्जी, डिफेंस, व्यापार और निवेश के मुद्दों के साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। सऊदी अरब उन छह देशों में शामिल है, जिन्हें अभी BRICS समूह में एंट्री मिली है। इस लिहाज से भारत के साथ क्राउन प्रिंस के द्विपक्षीय कार्यक्रमों को बड़ा अहम माना जा रहा है।
जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर सऊदी अरब गए थे, तो उन्होंने क्राउन प्रिंस के साथ हुई मुलाकात में उन्हें भारत आने का न्योता दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सूडान से भारतीयों को निकालने में उनके प्रयासों की तारीफ कर चुके हैं।
इसी साल अप्रैल में सूडान से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी चलाया गया था। उस दौरान करीब तीन हजार लोगों को भारत वापस लाया गया था। उस वक्त सऊदी अरब ने जेद्दा शहर को ट्रांजिट के रूप में उपयोग करने की इजाजत दी थी।
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सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत का 18% क्रूड सऊदी से आता है। इसके साथ ही वहां 22 लाख भारतवंशियों की मौजूदगी भी है।
क्यों अहम है सऊदी क्राउन प्रिंस का दौरा
G20 के लिए सितंबर में भारत पहुंच रहे कुछ देशों के प्रमुख राजकीय दौरे के लिए इस समिट के बाद भी रुक सकते हैं। इनमें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और नवनियुक्त पीएम मोहम्मद बिन सलमान का ऐसे दौरे पर रुकना कूटनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
मुस्लिम देशों को लेकर भारत की आउटरीच पॉलिसी में सऊदी अरब अहम रहा है। उम्मीद की जा रही है कि ब्रिक्स में जगह पाने के बाद परवान चढ़ रहे दोनों देशों के रिश्तों को और ऊंचाई मिलेगी। वह भी तब जब कि वित्त वर्ष 2021-2022 में दोनों देशों का व्यापार 42.8 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया यानी रिश्ते पारंपरिक तेल व्यापार से कहीं आगे निकल गए हैं।