Wednesday - 30 October 2024 - 5:14 AM

लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती के इस ऐलान के क्या है सियासी मायने?

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। एक तरफ इंडिया नाम का विपक्षी गठबंधन है तो दूसरी ओर बीजेपी का एनडीए है।

दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। उधर लखनऊ में राजनीतिक हलचल तब बढ़ गई जब बसपा प्रमुख मायावती ने किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है।

दरअसल लोकसभा चुनाव में मायावती ‘एकला चलो’ की रणनीति पर काम कर रही है और अकेले ही चुनावी दंगल में उतरेंगी। इस दौरान उन्होंने अपने भतीजे के कंधे पर हाथ रखकर सियासी संदेश भी दे दिया है।

मायावती ने कहा पार्टी को अपने उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरतनी होगी. लोकसभा चुनाव में पार्टी सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव में उतरेगी. बसपा प्रमुख ने कहा, “गठबंधन की वजह से लाभ की बजाय पार्टी को नुकसान ज्यादा उठाना पड़ा है।

बसपा का वोट तो स्पष्ट तौर पर गठबंधन वाली दूसरी पार्टी को ट्रांसफर हो जाती है, लेकिन दूसरी पार्टियां अपना वोट बसपा उम्मीदवारों को ट्रांसफर कराने की न सही नीयत रखती हैं और न ही क्षमता, जिससे बसपा के लोगों का मनोबल प्रभावित होता है. इसलिए बसपा सत्ता या विपक्ष दोनों गठबंधनों से दूर रहती है।”

उन्होंने कहा कि बीजेपी की संकीर्ण जातिवादी व सांप्रदायिक राजनीति, द्वेषपूर्व व अराजकता को प्रश्रय देने की वजह से सभी लोगों का जीवन त्रस्त और दुखी है. बीजेपी अब अपना प्रभाव ही नहीं बल्कि अपना जनाधार भी खो रही है।’ जिसकी वजह से इस बार लोकसभा चुनाव एकरफा नहीं रह गया है।’ उन्होंने कहा कि इस बार का चुनाव देश की राजनीति को नई करवट देने वाला साबित होगा।’

बसपा प्रमुख ने कहा, कांग्रेस की तरह भाजपा की कथनी व करनी में जमीन आसमान का अंतर है. इनके राज में आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया हो गया है।’ कुछ मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोगों का खासकर बहुजन परिवारों के सामने पालन पोषण की कठिनाई हो रही है. इन सबका प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।’

Radio_Prabhat
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