जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा एक बार फिर पुरानी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। पिछले साल विधान सभा चुनाव में मिली हार के बावजूद समाजवादी पार्टी हार नहीं मानी है। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए उसने अपनी पार्टी को मजबूत करना शुरू कर दिया है।
हालांकि इस बार सपा पहले से बेहतर लग रही है क्योंकि मुलायम के जाने के बाद उनका बिखरा हुआ कुनबा एक हो गया है। हालांकि पार्टी के कुछ नेता अपने बयानों की वजह से सपा को मुश्किल में डालने का काम जरूर कर रहे हैं।
ताजा मामला है स्वामी प्रसाद मौर्य।
स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी से किनारा करके सपा का दामन थामा और चुनाव में ताल ठोंकी और हार का मुंह देखना पड़ा।हार के बाद सपा ने उनको उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भेजा। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के कुछ ऐसे बयान सपा के लिए मुश्किलें पैदा करने काम कर रही है।
उनमें रामचरित्र मानस पर विवादित बयान सपा को बैकफुट डाल दिया था। अब उनका एक और बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की कवायद को लेकर मौर्य के विवादित बयान दिया था। मौर्य ने कहा था कि बद्रीनाथ समेत कई मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए थे और न सिर्फ ज्ञानवापी मस्जिद, बल्कि अन्य प्रमुख मंदिरों का भी आधुनिक सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव मौर्य ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा था,’आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? यही वजह है कि हमने कहा था कि किसी की आस्था को चोट न पहुंचे, इसके लिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। वरना ऐतिहासिक सच स्वीकारने के लिए तैयार रहना चाहिए।
अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर पलटवार किया है और े ट्वीट में कहा,’समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का ताजा बयान कि बद्रीनाथ सहित कई मंदिर बौद्ध मठों को तोडक़र बनाए गए हैं और आधुनिक सर्वे अकेले ज्ञानवापी मस्जिद का क्यों, बल्कि अन्य प्रमुख मंदिरों का भी होना चाहिए, नए विवाद को जन्म देने वाला विशुद्ध राजनीतिक बयान है।
‘ मायावती यहीं नहीं रूकी उन्होंने मौर्य पर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि ‘मौर्य उत्तर प्रदेश की बीजेपी में लंबे समय तक मंत्री रहे, लेकिन तब उन्होंने इस संबंध में पार्टी और सरकार पर दबाव क्यों नहीं बनाया? और अब चुनावों के मौसम में ऐसा धार्मिक विवाद पैदा करना उनकी और सपा की घिनौनी राजनीति नहीं तो क्या है? बौद्ध और मुस्लिम समाज इनके बहकावे में नहीं आने वाले हैं।’
अब उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लोगों का कहना उनको मीडिया में सुर्खियों में रहने की आदत है, इस वजह से वो इस तरह का बयान देते रहते हैं।