जुबिली स्पेशल डेस्क
जब से नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ा है तब से उनके बारे में अक्सर तरह-तरह कयास लगते रहते हैं। कहा जाता है कि नीतीश कुमार कभी भी अपना फैसला बदल सकते हैं।
अब नीतीश कुमार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके बाद एक बार फिर बिहार की महागठबंधन सरकार के अंदर ऑल इ वेल है या नहीं? इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है।
दरअसल उन्होंने बिहार में गवर्नेंस के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने तेवर सख्त दिखाते हुए राजस्व और भूमि सुधार विभाग में हुए 480 ट्रांसफर रद्द करने का फैसला लिया है।
ये ट्रांसफर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले आलोक मेहता ने किया था लेकिन जिन्हें अब सीएम नीतीश कुमार ने कैंसिल कर दिया है।
बता दें कि बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में जून के महीने में 480 अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की गई थी।
स्थानीय मीडिया की माने तो इन तबादलों के बाद लगातार सियासी गलियारे में कई तरह की बातें सामने आ रही थी। कहा तो ये भी जा रहा था कि तबादलों में नियमों का ध्यान नहीं रखा गया।
इस तबादलों पर नियमों का ध्यान नहीं रखे जाने और गड़बड़ी की शिकायत सीएम नीतीश कुमार तक जा पहुंची। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश ने पूरे मामले पर फिर से विचार किया और फिर 480 ट्रांसफर रद्द करने का फैसला लिया है।
नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद महागठबंधन सरकार पर इसका क्या असर होता है, ये अब देखना होगा। हालांकि अभी महागठबंधन सरकार में शामिल आरजेडी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दलों के बीच मनमुटाव की खबरे अक्सर आती रहती है।
बीजेपी को रोकने के लिए नीतीश कुमार पूरे विपक्ष को एक करने में लगे हुए है। उनकी कोशिश रंग ला रही है लेकिन बिहार में उनकी सरकार के सबकुछ ठीक है या नहीं इसको लेकर सवाल उठते रहते हैं। बीजेपी लगातार नीतीश कुमार को निशाना बना रही है।