जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। आज से एक साल पहले शिंदे ने बगावत करते हुए अपना अलग गुट बनाने के बाद बीजेपी की मदद से सीएम बन गए लेकिन अब ठीक एक साल बाद एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासी हलचल एक बार फिर तेज हो गई क्योंकि एनसीपी में फूट पड़ गई और अजित पवार ने शरद पवार से बगावत की और अपनी अलग राह पकड़ ली।
दरअसल एनसीपी में अब दो फाड़ होते हुए नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां शरद पवार का गुट है तो दूसरी तरफ उनके भतीजे अजित पवार का गुट है।
अजित पवार अपने गुट को लेकर एक बार फिर बीजेपी के साथ चले गए और सत्ता का सुख लेते हुए उप मुख्यमंत्री बन गए है।
2019 में जब अजित पवार पहली बार देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली अल्पकालिक सरकार का हिस्सा बने थे और इस बार भी उन्होंने हैरान करते हुए पार्टी से बगावत की है लेकिन इस सब के बीच बीजेपी को एक नया दोस्त अजित पवार के रूप में मिल गया है जो वक्त पडऩे पर उनकी मदद कर सकता है।
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इतना ही नहीं शिंदे को कमजोर करने के लिए बीजेपी के पास अब अजित पवार के रूप में एक नया साथी मिल गया है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम और महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच शिवेसान (यूबीटी) नेता संजय राउत ने दावा किया है कि जल्द ही महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बदलने जा रहा है। उन्होंने कहा है कि एकनाथ शिंदे को हटाया जाएगा और वह और उनके 16 विधायक अयोग्य हो जाएंगे।इसके आलावा शिंदे भले ही इस वक्त सीएम हो लेकिन संख्या बल के मामले में वो अब कमजोर पड़ गए है क्योंकि बीजेपी के पास अब अजित पवार के रूप में एनसीपी भी आ गई है।
मौजूदा सरकार के पास कुल 166 विधायकों का समर्थन है। अगर शिंदे कैंप के 40 विधायक जाते हैं तो ये संख्या 126 हो जाएगी। अगर अजित पवार खेमे के 30 विधायकों को भी जोड़ लें, तो भी सरकार के पास 156 विधायकों का समर्थन होगा, जो बहुमत से 11 ज्यादा होगा।
अब देखना होगा कि बीजेपी अगला कदम क्या उठाती है लेकिन इतना तय है कि अजित पवार के आने से बीजेपी को एक नई ताकत मिल गई है जो आने वाले चुनाव में देखने को मिल सकती है।