विवेक अवस्थी
योगी फैक्टर से भी निपटने की चुनौती होगी मोशा टीम के सामने..
दिल्ली राजसिंहासन पर पुनः मोदी को स्थापित करने के लिए दक्षिण से निराश भाजपा और उसके चाणक्य की निगाह उत्तर भारत पर है। उत्तर भारत में भी उत्तर प्रदेश का नियंत्रण अपने हाथों में लेने के लिए मोशा टीम के विश्वासपात्र सीआर पाटिल को यूपी का प्रभारी बनाया जा सकता है।
राहुल की बढ़ती लोकप्रियता व विपक्ष की मजबूत चुनौती के साथ भाजपा, संघ के अंदरखाने योगी आदित्यनाथ की बढ़ती लोकप्रियता भी चाणक्य के सामने है। यूपी के दोनों उपमुख्यमंत्री भी दूसरे प्रदेशों में प्रभारी बनाए जा सकते हैं।
हिमाचल, कर्नाटक के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भाजपा व उसके चाणक्य की नींंद उड़ गई है। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले होने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों की अंदरूनी रिपोर्टों से चिंतित भाजपा रणनीतिकार बैठक कर मोदी को सिंहासनारूढ़ करने की माथापच्ची कर रहे हैं। बुधवार को हुई टिफिन बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान में प्रदेश प्रभारियों के साथ कई अन्य प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्ष भी बदल सकते हैं। इसके साथ राष्ट्रीय संगठन में भी बड़ा फेरबदल हो सकता है। कई बड़बोले प्रवक्ताओं की छुट्टी के साथ महासचिवों पर भी गाज गिर सकती है। भाजपा के अंदरखाने चर्चा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में गुजरात की नवसारी सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले सीआर पाटिल को यूपी का प्रभारी बनाया जा सकता है।
रामजन्मभूमि मंदिर शिलान्यास के बाद से भारत में हुए तमाम चुनावों में मिली शिकस्त से मोशा टीम सकते में है। दक्षिण भारत से भाजपा का सूपड़ा साफ होने के बाद भाजपा और उसके चाणक्य के लिए तीसरी बार दिल्ली की सत्ता हथियाने के लिए अब उत्तर भारत ही आसरा है। इसमें भी उत्तर प्रदेश सबसे अहम है। कहा भी जाता था कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है लेकिन मोशा टीम को अंदरखाने योगी फैक्टर की चिंता सता रही है।
दोबारा यूपी की कमान संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली ने गुजरात माडल को धुंधला कर दिया है। अघोषित तरीके से भाजपा को नियंत्रित करने वाले संघ में भी योगी माडल पापुलर हो रहा है। दक्षिण भारत में मिली हार से ज्यादा योगी की पापुलरता मोशा टीम के लिए चिंता का विषय है। यूपी से अस्सी सांसदों की विशाल संख्या को देखते हुए इस पर अपनी अपनी पकड़ की रणनीति योगी और मोशा दोनों खेमे की बन बिगड़ रही है।
सूत्र बताते हैं कि यूपी में लोकसभा टिकट वितरण के साथ चुनावी प्रक्रिया पर भी पकड़ बनाए रखने के लिए ही सीआर पाटिल को आगे लाने की कवायद की जा रही है। सीआर पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोर टीम में शामिल रहे हैं। वे वाराणसी में प्रधानमंत्री के चुनाव की अहम जिम्मेदारी भी उठा चुके हैं।
मालूम हो कि इस वर्ष अक्टूबर में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अगले साल मार्च महीने में या पहले भी लोकसभा चुनाव हो सकता है। यह भी संभावना है कि विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा के साथ कराए जाएं। इन हिंदी भाषी विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन चाणक्य की उपाधि को नेस्तनाबूद तो करेगा ही बहुमत ना मिलने पर जोड़तोड़ की संभावनाओं को भी झटक देगा, सो मोशा टीम कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं है।
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सफलता के लिए कुछ भी करना पड़े की तर्ज पर तैयारियां चल रही हैं। सीआर पाटिल के अलावा केंद्र सरकार में शामिल दो बड़े चेहरों को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है। यही नहीं यूपी के दो उपमुख्यमंत्रियों को दो चुनावी राज्यों का प्रभार दिया जा सकता है। ये दोनों भी मोशा टीम के विश्वासपात्र माने जाते हैं।