- संघर्ष और बाधाओं को पार कर राजस्थान के प्रदीप एथलेटिक्स ट्रैक पर दिखा रहे कमाल
- खेतों में करते थे मजदूरी, अब प्रदीप का एथलेटिक्स पर फोकस
- शौकिया दौड़ना अब करियर को दे रहा है उड़ान
- प्रदीप का अगला लक्ष्य वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने पर
- खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। हमारे देश में कई ऐसी प्रतिभायें है जो सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद देश का नाम रौशन कर रहे हैं। राजस्थान के प्रदीप कुमार की कहानी भी यही है।
प्रदीप आज एथलेटिक्स की दुनिया में अपना कमाल दिखा रहे है तो इसके पीछे उनका लंबा संघर्ष भी है। खेत मजदूर परिवार में पैदा हुए प्रदीप कुमार ने जिस तरह से एथलेटिक्स के पटल पर पहचान बनायी है, उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
प्रदीप के पिता मदन लाल दूसरों के खेतों में मज़दूरी करके घर चलाते हैं। उनके परिवार की हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक समय उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी खासा मुश्किल होता है। इतना सबकुछ होने के बावजूद एक पिता ने हिम्मत नहीं हारी और अपने बेटे के सपनों को उड़ान देने के लिए पूरा जोर लगा दिया। उन्होंने जब अपने बेटे की खेल के प्रति लगन देखी तो उन्होंने कहा कि बेटा आप खेल पर पूरा फोकस करे बाकी मुझ पर छोड़ दे।
प्रदीप खुद भी अपने पिता के साथ खेतों में मजदूरी करते थे और गांव के युवाओं को आर्मी में भर्ती के लिए दौड़ लगाते देख उन्होंने भी शौकिया दौड़ना शुरू किया था। प्रदीप ने उत्तर प्रदेश की मेजबानी में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के अंतर्गत लखनऊ में आज से शुरू हुई एथलेटिक्स की स्पर्धा में यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की ओर से खेलते हुए 10,000 मी.दौड़ में 30:55.94 का समय निकालते हुए स्वर्ण पदक जीता।
इस जीत से खासे खुश नजर आ रहे प्रदीप की निगाह आगामी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने पर है। प्रदीप के अनुसार यहां मिली जीत से उनका उत्साह बढ़ा है और वो अब दोगुने जोश के साथ भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए पसीना बहाएंगे।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 22 साल के प्रदीप कुमार ने अपने एथलेटिक्स कॅरियर की शुरुआत काफी देर से की है। उन्होंने 2018 में ही अभ्यास शुरू किया था। उनके मन में चाहत है कि एथलेटिक्स में वो इतना नाम कमा ले कि उन्हें नौकरी मिल सके। इससे वो अपने परिवार की कुछ मदद भी कर सकेंगे और एथलेटिक्स के अभ्यास में आने वाले खर्चे को खुद उठा सकेंगे।
राजस्थान के जिला हनुमानगढ़ के कुलचंद्र गांव के रहने वाले प्रदीप के पिता मदन लाल दूसरों के खेतों में मजदूरी करते हैं। उनके ऊपर छह लोगों के परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी है। इसके चलते प्रदीप भी उनके साथ खेतों में काम करने लगे थे लेकिन अब वो अपना पूरा ध्यान खेल पर दे रहे है। इसमें उनके परिवार का भी पूरा सहयोग है, दरअसल प्रदीप के बड़े भाई बढ़ई का काम करते है और उनके छोटे भाई निजी स्कूल में टीचर है।
प्रदीप के पिता सीमित आय में उनकी भरसक मदद करते है लेकिन फिर भी ये उनके लिए नाकाफी रहता है। उन्हें खेल में अपने को आगे बढ़ाने के लिए दोस्तों और परिचितों से कर्जा लेना पड़ता है।
इन हालत में जूझ रहे प्रदीप को बस एक अदद नौकरी की चाहत है, उनका कहना है कि मेरा पूरा फोकस इस बात पर रहता है कि मुझे मेडल जीतना है ताकि मुझे खेल कोटे से नौकरी मिल सके। इससे मेरे परिवार को आर्थिक संकट से काफी हद तक राहत मिल जाएगी। प्रदीप 10,000 मी.दौड़ के साथ 5000 मी.दौड़ का भी अभ्यास करते है।
प्रदीप ने नेशनल जूनियर चैंपियनशिप-2019 में 8 किमी.क्रास कंट्री में रजत और 2020 में वारंगल में हुई जूनियर चैंपियनशिप में 8 किमी.क्रास कंट्री में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने गुवाहाटी में हुई नेशनल सीनियर चैंपियनशिप-2023 में क्रास कंट्री टीम इवेंट में रजत पदक जीता है।
प्रदीप को अपने कॅरियर को आगे बढ़ाने में कई कोचों का साथ मिला है। उन्हें सबसे पहले एक परिचित हैप्पी ने कोचिंग दी। इसके बाद अपने गांव के गवर्नमेंट स्कूल में पीटीआई प्रकाश जी मीना से कोचिंग लेने लगे। इसके अलावा उन्हें पुलिस विभाग में कार्यरत सुनील ने भी कई उपयोगी टिप्स दी। फिर उन्होंने माहिर कोच सुरेंद्र जी विश्नोई से भी ट्रेनिंग ली। वर्तमान में वो अमित राहड की निगरानी में ट्रेनिंग कर रहे है। वर्तमान में एमए के छात्र प्रदीप कुमार का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है।
उन्होंने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि यहां हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिली है, जो हमारे जैसे खिलाड़ियों के लिए काफी बेहतर है और इससे वो अपने गेम में फोकस कर सके और पदक जीतने में सफल हो सके। प्रदीप कुमार का इरादा अब आगामी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के ट्रायल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर भारतीय टीम में जगह बनाने का है। प्रदीप के अनुसार मेरे पिता कहते है कि बेटा आपको इंडिया टीम से खेलना है और पदक भी जीतना है।