Thursday - 7 November 2024 - 12:48 PM

पिता के सपनों को उड़ान देना चाहते है केरल के युवा फुटबॉलर मोहम्मद राफी

  • केरल में युवाओं में फुटबॉल की दीवानगी: पेले- रोनाल्डो और मेसी बनने की होड़
  • पिता है फिश लेबर, बेटे को नहीं होने दी कोई कमी
  • खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 उत्तर प्रदेश में मिल रही है रोज नई प्रतिभा

लखनऊ। भले ही फीफा में भारत की भागीदारी उतनी नहीं है लेकिन इसके बावजूद फुटबॉल की दीवानगी चरम पर है। वहीं दुनिया के इस सबसे लोकप्रिय खेल का क्रेज केरल में खूब है लेकिन इस राज्य में फुटबॉल फीवर हर गली में देखने को मिल जायेगा।

केरल से न जाने कितनी फुटबॉल प्रतिभाएं निकल चुकी है और फुटबॉल के सैकड़ो दीवाने हैं, जो पेले, रोनाल्डो और मेसी जैसे विश्वविजेता फुटबॉलरों की तरह बनने का सपना देख रहे हैं। इसके लिए यहां के युवा लगातार पसीना बहा रहे हैं।

इसी राज्य से मोहम्मद राफी आते हैं जो फिश लेबर (मछली पालन) के बेटे हैं लेकिन उनमें फुटबॉल की गजब की प्रतिभा है।

मोहम्मद राफी खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 उत्तर प्रदेश में अपने खेल का कमाल दिखा रहे है। उन्होंने बताया कि फुटबॉल खेल केरल की संस्कृति में बसा हुआ है जो गली से लेकर स्टेडियम तक में खेला जाता है। यहां जब आप गलियों से निकलेंगे तो आपको बच्चे छोटे-छोटे समूह में गेंद को लेकर दौड़ते-भागते मिल जाएंग। वहीं बच्चे ही नहीं बड़े भी इस खेल के दीवाने है।

उत्तर प्रदेश की मेजबानी में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 उत्तर प्रदेश के अंतर्गत लखनऊ के गुरू गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में खेले जा रहे पुरुष वर्ग के फुटबॉल मुकाबलों में एमजी यूनिवर्सिटी कोट्टम केरल की टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे है।

 

8 साल की उम्र से फुटबॉल खेल रहे मोहम्मद राफी की उम्र इस समय 22 साल है। साल 2019 में अंडर-19 इंडिया टीम की ओर से सैफ कप और एएफसी क्वालीफायर मुकाबलों में खेल चुके राफी चार साल (2016-2020) बेंगलौर एफसी टीम की ओर से खेल चुके है। वर्तमान में वो हैदराबाद एफसी टीम की ओर से खेलते है।

कोच्चि के रहने वाले राफी कहते है कि मेरे पापा मुजीब ने स्थानीय स्तर पर फुटबॉल खेली है बाद में वो जीविका के लिए फिश लेबर का काम करने लगे। हालांकि उनका सपना था कि मैं फुटबॉल में आगे नहीं बढ़ सका तो मेरा बेटा कमाल दिखाएगा इसलिए जब राफी ने कहा कि मुझे फुटबॉल खेलना है। तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया कि बेटा तुम सब चिंता छोड़कर फुटबॉल पर ध्यान दे।

हालांकि मुजीब की मछली पालन के व्यवसाय में मजदूरी से सीमित आय है लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बेटे का कॅरियर बनाने के लिए कभी कमी नहीं आने दी और भले ही उन्हें अपने खर्चो में कटौती करनी पड़ी हो लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।

वहीं उनकी मा नसरीना ने भी अपने बेटे का पूरा ख्याल रखा। राफी कहते है कि मेरे मां-पापा सहित पूरे परिवार ने पूरा सहयोग किया और आज वह फुटबॉल की दुनिया में कदम बढ़ा रहे है तो ये मेरे परिवार के चलते ही मुमकिन है।

राफी कहते है कि जब मैनें पहली बार में अंडर-19 इंडिया टीम का प्रतिनिधित्व किया था तो पापा खुशी से फूले नहीं समाये थे और वह पल मेरे और मेरे पापा सहित पूरे परिवार के लिए खासा अनमोल बन गया था।

एमजी यूनिवर्सिटी कोट्टम केरल में बीए तृतीय वर्ष के स्टूडेंट्स मोहम्मद राफी अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर लियोनल मेसी को अपना आदर्श मानते है और भारतीय फुटबॉलरों में वो सुनील छेत्री के दीवाने है।

आने वाले समय में भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम में खेलने का सपना संजोए हुए मोहम्मद राफी इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे है ताकि अपने पिता का सपना पूरा कर सके।

मोहम्मद राफी ने अपने फुटबॉल में सफर की शुरुआत एटीवल फुटबॉल अकादमी कोच्चि मुवत्तुपुझा में कोच अशोक के अंतर्गत की थी। वर्तमान में वो हैदराबाद की जूनियर फुटबॉल टीम में कोच रंजीत की निगरानी में ट्रेनिंग करते है।

मोहम्मद राफी का ये पहला खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है लेकिन वो यहां मिली सुविधाओं से खासे प्रफुल्लित है। राफी के अनुसार इन खेलों में जिस तरह की सुविधाएं मिल रही है, वो हमारे जैसे खिलाड़ियों के लिए एक अलग ही अनुभव है। हमे लग रहा है कि हम जैसे किसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रहे है।

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