जुबिली न्यूज डेस्क
नए संसद भवन के उदघाटन को लेकर सियासत चरम पर है। कांग्रेस चाहती है कि भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाया जाए। साथ ही उद्घाटन की तारीख को लेकर भी कई विपक्षी दल आगबबूला हो गए हैं। उद्घाटन की तारीख 28 मई रखी गई है और सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि उस दिन वीर सावरकर की जयंती है। यही वजह है कि 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
विपक्षी दलों का कहना है कि भवन का उदघाटन प्रधानमंत्री के बजाय राष्ट्रपति से करवाना चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाना चाहिए। गहलोत ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि राष्ट्रपति ही देश के संवैधानिक प्रधान होते हैं। अत: संविधान के सम्मान, सदाचार एवं सदनों की मर्यादा के अनुरूप नए संसद भवन का उद्घाटन उन्हीं के द्वारा किया जाना उचित होगा।
समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों द्वारा जारी पत्र
आखिर क्यों नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर हो रहा विरोध
दरअसल, 28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर कांग्रेस नेताओं और कई अन्य विपक्षी नेताओं का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही होना चाहिए।
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मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। इस बीच सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उद्घाटन के अवसर पर बधाई संदेश जारी कर सकते हैं।
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इन 19 पार्टियों ने किया है बहिष्कार का ऐलान
कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव), समाजवादी पार्टी, सीपीआई, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), राष्ट्रीय लोकदल, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, एनसीपी, सीपीएम, आरजेडी, आईयूएमएल, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और एमडीएमके।