- दिव्यांश बना टेबल टेनिस का नया सेंसेशन
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। अक्सर कहा जाता है कि प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं होती और खेलों की दुनिया में ऐसे कई चेहरे मिल जाएंगे जिन्होंने अभावों के बीच अपनी पहचान बनाई है। इसका एक उदाहरण है टेबल टेनिस के क्षितिज पर चमकने को तैयार नये सितारे उत्तर प्रदेश के दिव्यांश श्रीवास्तव का।
उत्तर प्रदेश की मेजबानी में होने वाले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की टीम से खेल रहे दिव्यांश की नजर इन खेलों में अच्छे प्रदर्शन पर है ताकि आगामी एशियन यूथ टेबल टेनिस चैंपियनशिप के लिए उनकी तैयारियों की परख हो सके।
दिव्यांश इन खेलों में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की ओर से टीम चैंपियनशिप के मुकाबलों में प्रतिभाग करेंगे और पदक के लिए पूरा जोर लगाने को तैयार है। दिव्यांश चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में बीए के स्टूडेंट्स है।
हाल ही में हुए दक्षिण एशियाई यूथ गेम्स में भारतीय टेबल टेनिस टीम से खेलते हुए बालक अंडर-19 युगल में स्वर्ण पदक जीतने वाले दिव्यांश वर्तमान में अंडर-19 बालक एकल में देश के नंबर वन टेबल टेनिस खिलाड़ी है।
उनके अनुसार खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में मिली जीत आगामी टूर्नामेंटों में मेरे लिए बेहतर प्रदर्शन की सीढ़ी साबित होगा। हालांकि उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले दिव्यांश श्रीवास्तव को अभी लंबा सफर तय करना है। दरअसल मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले इस खिलाड़ी के लिए खेलों की दुनिया में सफर आसान नहीं था।
हालांकि दिव्यांश इस सफलता में अपने माता-पिता का महत्वपूर्ण योगदान मानते है और कहते है कि उन्होंने मुझे खेल की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए हर तरह से साथ दिया।
दरअसल दिव्यांश के पिता सुरेश चंद्र श्रीवास्तव ड्राइवर है और उनकी मां श्रीमती रेनु श्रीवास्तव एक गृहिणी हैं। उनके सामने सीमित आय के चलते संसाधनों की बेहद कमी है। उनके लिए खासा चुनौतीपूर्ण था कि वो अपने बेटे की ट्रेनिंग में आने वाले खर्चे को उठा सके। इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे को आगे बढ़ाने में में कोई कसर नहीं छोड़ी।
हाल ही में ईटानगर में हुए दक्षिण एशियाई यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले दिव्यांश ने अब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम से खेलते हुए एक स्वर्ण, दो रजत व छह कांस्य सहित कुल नौ पदक अपने नाम किए है।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर कुल 20 पदक जीत चुके दिव्यांश की उम्र अभी 18 साल है लेकिन वो इस छोटी उम्र में कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुके है और लगातार शानदार प्रदर्शन करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ियों में से एक है।
दिव्यांश ने गत फरवरी में मध्य प्रदेश में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में यूथ बालक एकल में रजत पदक और यूथ बालक युगल में स्वर्ण पदक जीता था। उन्हें यहां बालक एकल फाइनल में बंगाल के अंकुर भट्टाचार्य से 1-4 से हार मिली थी।
इसके अलावा दिव्यांश ने यूथ बालक युगल फाइनल में सार्थ मिश्रा के साथ खेलते हुए वेस्ट बंगाल के सुजल बैनिक व बोधिसत्व चौधरी को 3-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। दिव्यांश ने इससे पहले यूटीटी नेशनल रैकिंग टेबल टेनिस चैंपियनशिप में यूथ बालक अंडर-17 का खिताब जीता था।
उन्होंने उसी समय लखनऊ जिला टेबल टेनिस चैंपियनशिप में भी चारों फाइनल जीते थे और पुरुष एकल, यूथ बालक, जूनियर बालक और सब-जूनियर बालक वर्ग की विजेता ट्रॉफी जीती थी।
वर्तमान में दिव्यांश लखनऊ के स्टैग पैसिफिक टेबल टेनिस सेंटर में अपने समय के माहिर खिलाड़ी व कोच पराग अग्रवाल की देख-रेख में ट्रेनिंग कर रहे है और सुबह व शाम के सत्र में रोज 4-4 घंटे ट्रेनिंग करते है। दिव्यांश के अनुसार उनके लिए वह पल काफी गौरवशाली था जब उन्होंने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल की थी।
दिव्यांश ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स को एक अच्छी पहल बताते हुए कहा कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे आयोजन हर साल होने चाहिए। दिव्यांश के अनुसार ये खेल एक ऐसा प्लेटफार्म बन सकता है जो उभरते हुए खिलाड़ियों को आने वाले समय में खेलों के लिए अपने अपने जुनून और सपनों को पूरा करने में मदद कर सकता है।
वहीं दिव्यांश के कोच पराग अग्रवाल बताते है कि दिव्यांश काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी है और मुझे पूरा विश्वास है कि वो आने वाले समय में सीनियर टेबल टेनिस टीम में जगह बनाने में सफल होगा। इसके अलावा वो आने वाले समय में वो आने वाले समय में राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेलो और ओलंपिक खेलों में भी देश का परचम लहरा सकता है।
बताते चले कि तृतीय खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 25 मई से 3 जून तक उत्तर प्रदेश के चार शहरों – लखनऊ, गौतम बुद्ध नगर, गोरखपुर, वाराणसी में होंगे जबकि निशानेबाजी की स्पर्धा दिल्ली में होगी। इन खेलों में देश भर के विभिन्न यूनिवर्सिटीज के 4,000 से अधिक एथलीट हिस्सा बनने को तैयार है।