- कांग्रेस को बैकडोर पर रखने की भूल शायद ही कोई करे
- भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस पार्टी हुई मजबूत
- केजरीवाल, ममता, केसीआर को मिला कड़ा संदेश
- कांग्रेस ही जो बीजेपी दे सकती है टक्कर
जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। बीजेपी नेता अक्सर अपनी रैलियों में कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देते हैं। इतना ही नहीं उनका ये नारा कुछ राज्यों में सफल भी हुआ है लेकिन हाल फिलहाल में बीजेपी की ये कोशिश उतनी रंग नहीं ला रही है, जितनी उनकी पार्टी कर रही थी।
दरअसल हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जोरदार जीत के बाद कर्नाटक में लोगों की पहली पसंद कांगेस ही है। कर्नाटक में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला।
इससे साफ जाहिर हो गया है कि उसे किसी और दल के समर्थन की जरूरत नहीं है। कांग्रेस की ये जीत कई चीजों की तरफ इशारा जरूर कर रही है।
इसके साथ ही मोदी मैजिक भी अब कम होता हुआ दिख रहा है। मोदी के सहारे चुनाव जीतने का सपना अब अधूरा भी लग रहा है। ऐसे में बीजेपी के लिए 2024 का रण अब आसान होने नहीं जा रहा है। बीजेपी को ये समझना होगा कि पीएम ने ताबड़तोड़ रैलियां भी काम नहीं आयेंगी।
बीजेपी को ये सोचना होगा क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू कमजोर पडऩे लगा है? जहां एक ओर कांग्रेस लोकल मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ रही थी तो बीजेपी बजरंग बली, मुस्लिम आरक्षण जैसें मुददें को हवा दे रही थी लेकिन ये काम नहीं बल्कि उनकी पार्टी उल्टा साबित हुआ। कांग्रेस ने भगवा दल की हर चाल को कर्नाटक में नाकाम किया है।
हिमाचल प्रदेश के बाद कांग्रेस जिस तरह से ऊपर उठी है वो न सिर्फ बीजेपी के लिए टेंशन की बात है तो दूसरी तरफ उन दलों के लिए एक साफ संदेश है जो तीसरा मोर्चा बनाने की वकालत करते हैं। खरगे-राहुल की जोड़ी अब बीजेपी को हराने का दम-खम दिखा रही है।
कांग्रेस की इस बड़ी जीत से भारतीय राजनीति के छह चेहरों को साफ संदेश दिया है जो कांग्रेस के बगैर अपनी गाड़ी आगे बढ़ाने की बात करते हैं।
बात अगर कुमारस्वामी की पार्टी करे तो उनमें जेडीएस का कद अब और नीचे चला गया क्योंकि पिछले चुनाव में 37 सीट जीतकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले जेडीएस अब सिर्फ 20 सीटों पर सिमट गई। कुमार स्वामी को समझना होगा कि जनता के दिलों में अब कांग्रेस राज करती है।
वहीं बात आम आदमी पार्टी की करे तो जब से पंजाब में जीत मिली है तब से केजरीवाल की पार्टी भी दूसरे राज्यों में अपने पंख फैलाने में लगी हुई लेकिन हालिया चुनाव में उसकी दाल गलती हुई नजर नहीं आ रही है।
केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई और पंजाब में सफलता पाई, इसके बाद से उनके हौसले बुलंद हो गए थे। इसके आलावा आम आदमी पार्टी कांगे्रस की जगह लेने का सपना पाल रही थी लेकिन कर्नाटक की जीत से केजरीवाल के लिए ये एक बड़ा संदेश है कि कांग्रेस फिर से मजबूत हो रही है।
दूसरी तरफ ममता बनर्जी भर अपने आप को पीएम पद का दावेदार समझ रही है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस एक अलग राह पर चल रही है। उसने कई मौकों पर कांग्रेस से दूरी बना ली है लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से उनके लिए एक संदेश है कि कांग्रेस के बगैर कोई मोर्चा सफल नहीं हो सकता है।
हिमाचल के बाद कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से एक बात तो साफ हो गई है कि विपक्षी एकता पर जोर होगा लेकिन कांग्रेस फिर से खुद को नेतृत्व की स्थिति में रखना चाहेगी। राहुल गांधी को कमजोर करने की पूरी कोशिश की गई लेकिन उन्होंने शानदार तरीके से कर्नाटक में प्रचार किया और जीत दिलाने में अहम योगदान दिया। विपक्षी दलों को अब समझना होगा कि देशभर में कांग्रेस ही भाजपा को चुनौती दे सकती है।
इसी तरह से तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव भी अपने आपको राष्ट्रीय भूमिका में लाना चाह रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति से भारत राष्ट्र समिति किया लेकिन अब उनके लिए ये संदेश है कि कांग्रेस के बगैर तीसरा मोर्चा कोई खास कमाल नहीं पायेंगा।
ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव से मिलकर तीसरे मोर्चा की वकालत कर रहे हो लेकिन अब हिमाचल और कर्नाटक की जीत से एक बार फिर बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के मामले में कांग्रेस ही आगे है।
इसी तरह से नीतीश कुमार और शरद पवार को भी एक तरह से राजनीतिक संदेश मिल गया है। कांग्रेस के बगैर कोई और मोर्चा कामयाब नहीं हो सकता है। नीतीश और शरद पवार दोनों 2024 में अपनी भूमिका तलाश रहे हैं लेकिन अगर कोई भी कांग्रेस को कमजोर पडऩे की भूल कर रहा हो उसके लिए बड़ा संदेश है।