जुबिली न्यूज डेस्क
कुंदरू बेल पर लगने वाली सब्जी है. इस सब्जी को अब गांव के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी खूब पसंद किया जाने लगा है. इसमें पाए जाने वाले विशेष तत्व मोटापे को रोकते हैं. यह एनीमिया में भी लाभकारी है, क्योंकि इसमें आयरन खूब पाया जाता है. कभी इसे जंगली माना जाता था, लेकिन अब करेले, लौकी, परवल की तरह इसकी भी खेती की जा रही है. भारत के प्राचीन ग्रंथों में इसकी विशेषताओं का वर्णन है और माना जाता है कि देश के अलावा यह दक्षिण अफ्रीका में भी प्राचीन समय से खाया जाने लगा था.
कुंदरू की विशेषताएं खास हैं
कुंदरू का आकार प्रकार परवल जैसा ही दिखता है, इसके बावजूद इन दोनों के रंग-आकार और विशेषताओं में कुछ भिन्नताएं हैं. अगर आप उड़ती नजरों से इन दोनों सब्जियों को देखेंगे तो वे एक जैसी ही नजर आएंगी, क्योंकि दोनों का रंग हरा होता है और लंबी–लंबी धरियां होती हैं. परवल का रंग थोड़ा गहरा हरा होता है और कुंदरु का हल्का. कुंदरु दिखने में छोटा और लंबा होता है और परवल थोड़ा बड़ा. दोनों का स्वाद भी एक जैसा ही होता है, लेकिन इनके पोषण मूल्य थोड़े अलग हैं.
कुंदरू एक मौसमी सब्जी है और इसकी बेल पेड़ या झाड़ी के सहारे फैलती है. इसमें इतना घनापन होता है कि यह पेड़ या झाड़ी को पूरी तरह ढक लेता है. कुछ अलग विशेषताओं के चलते कुंदरू अब पूरी दुनिया में खाया जाता है, उसका कारण है कि इसमें कई पोषक तत्व भरपूर हैं. इसकी सब्जी तो बनाई ही जाती है, साथ ही चटनी में भी इसका उपयोग किया जाता है. इसे कई सब्जियों के साथ मिलाकर स्वादिष्ट मिक्स वेज बनाई जा सकती है.
फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि हजारों वर्ष पूर्व कुंदरू की उत्पत्ति भारत के जंगलों में हुई. भारत के प्राचीन ग्रंथों में इसकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है. कई स्थानीय पांडुलिपियों के अलावा आयुर्वेद से जुड़े ग्रंथों में भी इसका जिक्र है. हिस्टोरियन ये भी मानते हैं कि सालों से इसकी खेती भारत के साथ-साथ एशिया में की जा रही है, साथ ही अफ्रीका के कुछ देशों में भी इसे उगाया जा रहा है. अब तो पूरे भारत में इसकी खेती की जा रही है.
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बताया गया है कि पूरी दुनिया में कुंदरू की करीब 35 प्रजातियां हैं लेकिन भारत में केवल एक ही प्रजाति की खेती होती है, जो बेहद स्वादिष्ट व पौष्टिकता में भरपूर है. इसकी अन्य प्रजातियां चीन, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, मध्य अमेरिका, मलेशिया आदि में खूब पैदा होती हैं और वहां सुखाकर इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. विशेष बात यह है कि आकार में कुंदरू छोटी सी सब्जी है, लेकिन इसका परिवार कद्दू से जुड़ा हुआ है.
यह शरीर के एनर्जी लेवल को बनाए रखता है
कुंदरू मोटापे को कंट्रोल करता है और एनीमिया में भी लाभकारी है. आयुर्वेद ने कुंदरू को औषधीय गुणों से भी युक्त माना है. यह शीतल, थोड़ा सा कषाय, कफ-पित्तशामक होता है. कुंदरू में पाए जाने वाले विटामिन्स घुलनशील होते हैं, जो एनर्जी लेवल को बनाए रखते हैं. इस सब्जी में खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो नर्वस सिस्टम को दुरुस्त बनाए रखते हैं.
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पाचन सिस्टम को भी बेहतर बनाए रखता है
कुंदरू में फाइबर की मात्रा भी पर्याप्त होती है, इसलिए यह पाचन सिस्टम भी ठीक रखता है. आयुर्वेद में खुजली और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए कुंदरू की जड़, फल और पत्तियों का पेस्ट बनाया जाता है, जिसे प्रभावी माना जाता है. यह बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने के लिए लाभकारी है. इसमें पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम भी पाया जाता है, जो दिल के फंक्शन को बेहतर बनाए रखता है. सामान्य मात्रा में इसका सेवन कोई हानि नहीं पैदा करता है. लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने पर लूजमोशन हो सकते हैं. पेट भी गुड़गुड़ा सकता है.