जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। देश में इन दिनों चुनावी मौसम चल रहा है। दरअसल कई राज्यों में इस साल विधान सभा चुनाव होना है। इस वजह से राजनीतिक दलों के लिए ये साल काफी अहम है।
इसके बाद यानी अगले साल लोकसभा चुनाव होना है। इसलिए राजनीतिक दलों के आने वाला वक्त किसी सेमीफाइनल से कम नहीं है। मोदी सरकार जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब है तो दूसरी तरफ विपक्ष मोदी को रोकने के लिए अभी से कमर कस रहा है। हालांकि कुछ मौकों पर विपक्षी एकता मजबूत नहीं दिखी।
अखिलेश यादव, केजरीवाल, ममता और केसीआर जैसे बड़े चेहरे कांग्रेस से अलग राय रखते हुए नजर आ रहे हैं। क्षेत्रीय दलों को अब इस बात का एहसास है कि मोदी को रोकना है तो विपक्ष को एक होना होगा। इसके लिए सभी छोटे दलों को कांग्रेस के साथ आना होगा क्योंकि अब भी पूरे देश में कांग्रेस का बड़ा प्रभाव है। अगर मौजूदा वक्त में बीजेपी को कोई टक्कर दे सकता है वो सिर्फ कांग्रेस ही दे सकती है।
जमीनी स्तर पर कांग्रेस पार्टी का प्रभाव पूरे देश में देखने को मिलता है। अभी तक अखिलेश यादव, केजरीवाल, ममता और केसीआर, पवार और नीतीश जैसे नेता भले ही इस पर कुछ न बोलते हो लेकिन अब पवार और नीतीश जैसे बड़े विपक्षी चेहरे तो खुद भी इसकी पैरवी करते रहे हैं।
उनके अनुसार कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा जाये तभी मोदी को रोका जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए एक अच्छी स्थिति पैदा हो सकती है अगर विपक्षी एकता हो जाये इसका मतलब है कि विपक्षी एकता को एक छाते के नीचे लाना काफी अहम हो जायेगा।
हाल के दिनों में केजरीवाल जितनी तेजी से आगे बढ़े उससे लग रहा था वो शायद एक बड़ा मंच देख रहे हैं लेकिन इस वक्त आम आदमी पार्टी पर कई तरह सवाल उठ रहे हैं।
इस वजह से केजरीवाल के लिए अब राह आसान नहीं है। वहीं ममता की पार्टी भी अब कमजोर हुई। ऐसे में कांग्रेस के साथ जाना इन दलों के लिए भलाई हो सकती है जबकि राहुल गांधी इस वक्त अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने में कामयाब हुए है। भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी को अब पूरी तरह से बदल दिया है। जनता भी अब राहुल गांधी को लेकर पहले से गम्भीर है।