जुबिली न्यू़ज डेस्क
साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग रहा है. यह सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. सूर्य ग्रहण में सूतक काल लगता है. यह ग्रहण के प्रारंभ से 12 घंटे पूर्व ही लग जाता है. सूतक काल का समापन सूर्य ग्रहण के खत्म होने के साथ होता है.
सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं, इतना ही नहीं भोजन और सोने की मनाही होती है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब से है और इसमें भोजन करना और सोना क्यों मना होता है?
सूर्य ग्रहण 2023 का सूतक काल
20 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है, इस वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. सूतक काल नहीं लगेगा. हालांकि सूर्य ग्रहण के समय में वर्जित कार्यों को न करें तो अच्छा होगा. वैसे सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व से और चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पूर्व से लग जाता है.
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सूर्य ग्रहण में खाना और सोना क्यों है मना?
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को लेकर कई मान्यताएं हैं. ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान दूषित किरणों के कारण भोजन दूषित हो जाता है. इसको खाने से शरीर में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं, इस वजह से सूर्य ग्रहण में भोजन करना वर्जित है.सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय में सोना भी वर्जित है क्योंकि सोने से व्यक्ति रोगी हो सकता है. दूषित किरणों का उसके शरीर और मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति ग्रहण में सोने से रोगी, उबटन लगाने से कोढ़ी, सहवास से सुअर और लघुशंका से दरिद्र होता है.
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सूर्य ग्रहण के बाद करते हैं स्नान
जब ग्रहण समाप्त होता है तो उसके बाद स्नान करते हैं. स्नान करने का कारण यह है कि सूर्य के दूषित किरणों का प्रभाव शरीर पर होता है. उसको दूर करने के लिए स्नान करते हैं और दूसरे साफ कपड़े पहनते हैं. ग्रहण काल के कपड़ों को निकाल दिया जाता है और उसे धुल देते हैं. ग्रहण खत्म होने के गंगाजल से घर को पवित्र किया जाता है.