जुबिली न्यूज डेस्क
यूपी की योगी सरकार जहां अपराधियों पर बुलडोजर चलाती है और साथ ही प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने की बात करती है वहीं इस सरकार में बच्चों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
बता दे कि उत्तर प्रदेश में बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के 67,200 मामले लंबित हैं, जो सभी राज्यों से सबसे अधिक है. प्रदेश में लंबित मामले यौन अपराधों से बच्चों के कड़े संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज सभी मामलों का लगभग 28 फीसदी हैं.
हालांकि पीड़ित बच्चों को अदालती कार्रवाई की उत्पीड़न से बचने के लिए विशेष रूप से फास्ट ट्रैक कोर्ट में जल्द से जल्द मुकदमों को पूरा करने का प्रावधान है. पॉक्सो अधिनियम में बदवाल करके सरकार द्वारा फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया था.
जानें कितने मामले लंबित
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हर जिले में कम से कम एक फास्ट ट्रैक कोर्ट है. लेकिन साल 2016 से लेकर अब तक लंबित मामलों में 170 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. साल 2016 में 90,205 लंबित मामले थे. जबकि 2023, जनवरी में ये बढ़कर 2 लाख 43 हजार 237 हो गया. वहीं महाराष्ट्र में 33,000 लंबित मामले हैं. इसके बाद 22,100 लंबित मामलों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे नंबर पर है. जबकि बिहार में 16,000, ओडिशा में 12,000 और तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 10,000 लंबित मामले हैं.
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में संपन्न बजट सत्र में एक सवाल के जवाब में संसद को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए जांच और परीक्षण के लिए प्रत्येक दो महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है.
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पॉक्सो और बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त पोषण के साथ 764 विशेष एफटीसी (फास्ट ट्रैक कोर्ट) स्थापित किए गए हैं, जिसमें पॉक्सो अधिनियम के मामलों के लिए विशेष रूप से समर्पित 411 विशेष एफटीसी शामिल हैं. ये अदालतें साल में 1.4 लाख मामलों का निपटारा कर रही हैं.
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