जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। राहुल गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। मोदी सरनेम (उपनाम) को लेकर उनके खिलाफ चल रहे मानहानि केस में सूरत कोर्ट से उनका बड़ा झटका लगा है और दो साल की सजा सुनाई है।
मामला साल 2019 के लोकसभा चुनाव है जब राहुल गांधी ने कर्नाटका में चुनावी सभा के दौरान ये टिप्पणी की थी। हालांकि राहुल गांधी इस मामले में ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकते हैं, इसके लिए उनके पास 30 दिन का वक्त है।
इसका अर्थ ये हुआ कि उनको अभी सजा लागू नहीं होगी। इतना ही नहीं 30 दिन उनको जमानत दे दी गई लेकिन 2 साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता जाने का खतरा जरूर मंडरा रहा है।
कानून के अनुसार
जनप्रतिनिधि कानून क्या कहता है। इस कानून के मुताबिक अगर किसी सांसद या विधायक को किसी मामले में 2 या 2 साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। सजा पूरी होने के बाद उनको छह साल तक चुनाव लडऩे पर रोक होती है यानी अयोग्य भी होते हैं।
इस कानून की धारा 8(3) के अनुसार अगर किसी सांसद को दोषी ठहराया जाता है और दो साल से कम की कैद की सजा नहीं होती है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है। इस कानून की धारा 8(4) में ये भी बताया गया है कि दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्यता तीन महीने बाद ही प्रभावी मानी जाती है। वहीं 2013 में इस धारा को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। इसका अर्थ ये हुआ कि सिर्फ अपील दाखिल करने से बात नहीं बनेंगी। सजायाफ्ता सांसद को ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ स्थगन का एक विशिष्ट आदेश सुरक्षित करना होगा।
अगर सूरत कोर्ट से लोकसभा सचिवालय को इसकी जानकारी भेजी जाती है और लोकसभा स्पीकर उसे स्वीकार कर लेते हैं तो राहुल गांधी की सदस्या खत्म हो जाएगी। इतना ही नहीं वह सजा खत्म होने के बाद 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस में भारी गुस्सा है और उनकी सजा के बाद भारतीय राजनीति में हलचल पैदा हो गई है। कांग्रेस सडक़ पर उतर आई और मौजूदा सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर रही है।