जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय और अंबेडकर यूनिवर्सिटी में भी जमकर हंगामा देखने को मिल रहा था ।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। दरअसल इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकार के एक्शन पर कोर्ट ने कहा- फिर भी लोग डॉक्यूमेंट्री देख रहे हैं।
2002 गुजरात दंगों पर BBC की डॉक्यूमेंट्री पर रोक के मामले में कोर्ट ने आज एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एम एल शर्मा की याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित लगा दिया था।
बैन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले पर अप्रैल में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सुनवाई से इनकार किया।
दरअसल केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले ट्वीट ब्लॉक करने का निर्देश दिया था । इतना ही नहीं बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के यूट्यूब के लिंक जिन ट्वीट के जरिए शेयर किए गए था उनको भी ब्लॉक कर दिया गया था । मीडिया रिपोट्र्स की माने तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ऐसा करने का निर्देश दिया था ।
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने ये कदम IT नियम के तहत उठाया। इसमें 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए निर्देश जारी किए गए थे।
मंत्रालय ने कहा कि बीबीसी ने इसे भारत में उपलब्ध नहीं कराया । कुछ YouTube चैनल ने इसे अपलोड किया। ऐसा लगता है कि भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इसे अपलोड किया गया है।
सुनवाई के दौरान एन राम के वकील ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री को लेकर यूनिवर्सिटी में छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्हें यूनिवर्सिटी से निकालने तक की धमकी दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस विषय पर सुनवाई नही करेंगे, केवल प्रतिबंध की कानूनी वैधता पर सुनवाई करेंगे।