जुबिली न्यूज डेस्क
अरबपति गौतम अडानी के लिए 2023 की शुरुवात बेहद ही खराब हुई। बीते एक हफ्ते में अड़ानी अर्श से फर्श पर आ गए हैं। अड़ानी के साथ ये हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से हुआ है। इस रिपोर्ट की वजह से ही दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां और कर्ज देने वाले बैंक अडानी समूह से सवाल पूछ रहे हैं।
अब समूह ने अपना फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग यानी एफपीओ को भी कैंसिल कर दिया है। बहरहाल, आइए सिलसिलेवार 10 प्वाइंट में जानते हैं कि कैसे हफ्ते भर में ही गौतम अडानी समूह की फिजा बदल गई है।
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- अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को 106 पेज की एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक्स के 85 फीसदी तक ओवरवैल्यूड होने के आरोप लगाए गए। इसके साथ ही रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेल कंपनियां बनाकर स्टॉक्स में हेरफेर और धोखाधड़ी करने के भी आरोप लगे।
- रिपोर्ट के बाद 25 जनवरी को अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट का दौर शुरू हुआ। ग्रुप की सभी लिस्टेड कंपनियों के शेयर भरभरा गए। इसके बाद 26 जनवरी को शेयर बाजार बंद था। इसी दौरान अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी FPO के खिलाफ साजिश करार दिया। हालांकि, यह सफाई बेअसर रही और 27 जनवरी को मार्केट ओपन होते एक बार फिर अडानी ग्रुप से जुड़े स्टॉक्स रेंगते नजर आए। ब्लूमबर्ग के मुताबिक हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद गुरुवार तक अडानी ग्रुप का मार्केट कैपिटल $100 बिलियन से अधिक स्वाहा हो चुका है।
- बीते 28 जनवरी को मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल (MSCI) ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर अडानी समूह की सिक्योरिटीज पर फीडबैक मांगा। वर्तमान में गौतम अडानी समूह से जुड़ी आठ कंपनियां एमएससीआई स्टैंडर्ड सूचकांक का हिस्सा हैं।
- बीते 29 जनवरी को अडानी समूह ने 413 पन्नों का बयान जारी किया जिसमें हिंडनबर्ग के सभी दावों का खंडन किया गया और इसे भारत पर कैल्कुलेटेड अटैक बताया। इसके बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी का बयान उसकी रिपोर्ट में उठाए गए अधिकांश सवालों का जवाब देने में विफल रहा।
- समूह के शेयरों में बिकवाली के बीच एक सप्ताह में अडानी की व्यक्तिगत संपत्ति में भी काफी गिरावट आई है। वह अब एशिया के सबसे अमीर रईस का खिताब गंवा चुके हैं। इसके अलावा टॉप 15 अरबपतियों की सूची से भी बाहर हैं।
- इस माहौल के बीच स्विट्जरलैंड स्थित निवेश बैंकिंग कंपनी क्रेडिट सुइस ने भी झटका दिया। क्रेडिट सुइस ने अपने निजी बैंकिंग ग्राहकों को मार्जिन लोन के लिए जमानत के रूप में अडानी समूह के बॉन्ड स्वीकार करना बंद कर दिया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सिटीग्रुप इंक ने भी गौतम अडानी की फर्मों के समूह की सिक्योरिटीज को स्वीकार करना बंद कर दिया है।
- बीते 1 फरवरी को अडानी एंटरप्राइजेज ने एफपीओ को रद्द करने का ऐलान किया। अडानी ग्रुप ने इसे नैतिक आधार पर लिया गया फैसला बताया।
- इस बीच, फोर्ब्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ को मैनेज करने के लिए जिन 10 कंपनियों को रखा गया था, उनमें दो ऐसी कंपनी भी हैं, जिनका जिक्र हिंडनबर्ग कि रिसर्च रिपोर्ट में भी किया गया है।
- अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों से अडानी समूह के लिए उनके कर्ज और जोखिमों की डिटेल मांगी है। वहीं, अडानी समूह का ये प्रकरण अब राजनीतिक रूप भी ले चुका है। संसद में विपक्षी पार्टियां अडानी ग्रुप के खिलाफ गोलबंद होती नजर आ रही हैं।
- गौतम अडानी भारत में सबसे बड़े पोर्ट ऑपरेटर समूह के संस्थापक हैं। अडानी ग्रुप के कारोबार में इंफ्रास्ट्रक्चर, कमोडिटीज, बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन के अलावा रियल एस्टेट शामिल हैं। बीते कुछ साल में अडानी समूह ने अलग-अलग सेक्टर में एंट्री शुरू कर दी है। मसलन, सीमेंट और मीडिया इंडस्ट्री में समूह ने एंट्री ली है।
- अब तक दिग्गज उद्योगपति गौतम अदाणी की नेट वर्थ को बड़ा झटका लगा है। जहां कुछ समय पहले तक वे दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर काबिज थे अब वे टॉप 20 में भी नहीं है। ब्लूमबर्ग की बिलेनियर इंडेक्स के अनुसार, गौतम अदाणी टॉप 20 अमीरों लिस्ट से बाहर होकर फिलहाल 22वें नंबर पर पहुंच गए हैं।
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