नई दिल्ली. वित्त वर्ष 23-24 के बाल बजट पर टिप्पणी करते हुए क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू की क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) सोहा मोइत्रा ने कहा, ” केंद्रीय बजट 23-24 कोविड-19 महामारी के बाद देश के समावेशी विकास की दिशा में एक मजबूत रोडमैप बनाने की पुरज़ोर कोशिश को दर्शाता है।
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है की भारत के बच्चे जो की इस देश की कुल आबादी का एक तिहाई से अधिक हिस्सा हैं इस बजट की प्राथमिकता मे पीछे छूट गए हैं”।
बजट के सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा, “बाल शिक्षा और स्वास्थ्य के बजट में इस वर्ष कुछ वृद्धि देखी गई है वहीं दूसरी और मिशन वात्सल्य जो की बच्चों की सुरक्षा पर केंद्रित है के लिए आवंटन (1,472.17 करोड़) मे कोई बदलाव नहीं किया गया है।
सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के लिए आवंटन रुपये से लगभग 1.44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन दोनों योजनाओ का बजट 17,223.61 करोड़ (2022-23 बजट अनुमान) से बढ़ाकर रु.17,471.16 करोड़ (2023-24 बजट अनुमान) कर दिया गया है यानि 247.55 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है।
समग्र शिक्षा के बजट मे भी 0.19 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई है यानि यह बजट 37, 383.36 करोड़ (2022-23 बजट अनुमान) रुपये से बढ़ाकर 37,453.47 करोड़ कर दिया गया है। वहीं अल्पसंख्यक बच्चों के लिए 2023-24 में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति को बढ़ाकर 1065 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह 106.8 प्रतिशत की वृद्धि है।“
उन्होंने कहा “यह वास्तव में एक सकारात्मक खबर है कि केंद्रीय बजट वित्त वर्ष 23-24 में कुल राजकोषीय परिव्यय 22-23 से 14.15 प्रतिशत बढ़ गया है, साथ ही कुल बाल बजट में भी 11054.20 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
यानि विकतीय वर्ष 2022-23 (बजट अनुमान) के बाल बजट जो की 92,736.5 करोड़ रुपये था की तुलना मे विकतीय वर्ष 2023-24 (बजट अनुमान) के बाल बजट बढ़ाकर 103,790.70 करोड़ रुपये कर दिया है।
लेकिन बारीकी से देखने पर स्पष्ट रूप से पता चलता है कि केंद्रीय बजट में बाल बजट के आवंटन के हिस्से में 0.05 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 (बजट अनुमान) मे कुल बजट मे बाल बजट का प्रतिशत 2.35 प्रतिशत था जो 2023-24 मे घटकर 2.30 प्रतिशत कर दिया गया है। आगे के विश्लेषण से पता चलता है कि जीडीपी के संदर्भ में, 2023-24 बजट अनुमान में बाल बजट का प्रतिशत हिस्सा घटकर 0.34 प्रतिशत हो गया है, जबकि 2022-23 बजट अनुमान में यह 0.36 प्रतिशत था।
उन्होंने कहा “हालांकि बच्चों के अधिकारों की दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजनाए जैसे की राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना मे गिरावट देखि गई है। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना मे 2022-23 की तुलना मे 33.3% कमी हुईं है वहीं अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्री-मेट्रिक स्कॉलरशिप एवं मौलाना आज़ाद स्कॉलरशिप के आवंटन मे भी गिरावट देखि गई”।
सोहा मोईत्रा ने कहा “कुल मिलाकर, जैसा कि बाल-केंद्रित कार्यक्रमों और पहलों में विस्तृत बजट आवंटन से पता चलता है, ऐसा लगता है कि बहुआयामी गरीबी की छाया में रहने वाले कमजोर तबके के बच्चों के समग्र विकास की बात आने पर केंद्रीय बजट समाज के अंतिम मील तक पहुंचने में विफल होता प्रतीत होता है,” ।