जुबिली न्यूज डेस्क
भगवान राम लला के मंदिर में अचल मूर्ति के तौर पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा को लेकर भवन निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक श्री राम जन्मभूमि परिसर और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अकाउंट डिपार्टमेंट में चली. इस बैठक में चर्चा हुई कि मां जानकी के नगर नेपाल की कंडकी नदी से भगवान राम लला की नगरी लाए जा रहे शालिग्राम पत्थर को लेकर मंथन हुआ.
नेपाल के लोगों की श्रद्धा सिर माथे पर
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की माने तो भगवान रामलला की अचल मूर्ति के तौर पर शालिग्राम पत्थर का उपयोग किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने मूर्तिकला के विशेषज्ञ और मूर्ति निर्माण करने वालों के पाले में गेंद डाल दी. उन्होंने यह जरूर कहा कि नेपाल के लोगों की श्रद्धा सिर माथे पर अगर भगवान राम लला की आंचल मूर्ति के लिए सबसे उपयुक्त पत्थर शालिग्राम पत्थर हुआ तो फिर मां जानकी के नगर से भगवान राम के आकार के लिए लाए गए पाषाण का उपयोग निश्चित ही किया जाएगा.
श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल देश के काली गंडकी नदी के तट से शालिग्राम पत्थर आएंगे, जिसे नेपाल देश के संत अयोध्या को उपहार स्वरूप दे रहे हैं. इस आशय की जानकारी श्री राम मंदिर निर्माण समिति की 2 दिनी बैठक के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने दी.
मूर्ति किसी भी दशा में पुत्र अर्थात बाल रूप में प्रतीत हो
बैठक में रामलला की मूर्ति के स्वरूप से संबंधित सभी आवरण जैसे आंखों की कोमलता देवत्व और बाल सुलभता, होंठो की मुस्कान, गाल और मस्तक के साथ-साथ नाभि से ऊपर और नाभि से नीचे की संपूर्ण रचना पर गंभीर चिंतन किया गया. इसी के साथ ही इस आशय पर भी विचार किया गया कि मूर्ति किसी भी दशा में पुत्र अर्थात बाल रूप में प्रतीत हो.
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2 दिनों में निर्माण समिति की बैठक
बैठक की विशेषता यह रही कि 2 दिनों में निर्माण समिति की बैठक तीन अलग-अलग चरणों में अलग-अलग स्थानों पर हुई, जबकि राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में सदस्यों और श्री राम जन्मभूमि परिसर में तकनीकी एक्सपोर्ट्स की दोपहर बाद एक साथ बैठक की गई, जिसमें निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डॉ अनिल मिश्र,जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती, राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी प्रमुख रूप से शामिल हुए.
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