Thursday - 31 October 2024 - 8:03 AM

ऑस्ट्रेलिया में कुछ बड़े बदलाव, तेज़ी से फैल रहा हिंदू धर्म और इस्लाम

जुबिली न्यूज डेस्क

ऑस्ट्रेलिया में नई जनगणना के आँकड़ों से पता चलता है कि देश की आबादी में कुछ बड़े बदलाव हो रहे हैं. इनमें हिंदू धर्म और वहाँ रह रहे भारतीयों की स्थिति को लेकर भी नई जानकारियाँ सामने आई हैं.

बता दे कि ऑस्ट्रेलिया में हर पाँच साल पर जनगणना होती है. ताज़ा जनगणना 2021 में हुई जिसके आँकड़े पिछले सप्ताह जारी किए गए.नई जनगणना के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की आबादी ढाई करोड़ से ज़्यादा हो गई है. वहाँ की आबादी अब दो करोड़ 55 लाख हो गई है, जो 2016 में दो करोड़ 34 लाख थी.

पिछले पाँच सालों में वहाँ की आबादी में 21 लाख की वृद्धि हुई है. वहीं देश की औसत आमदनी भी थोड़ी बढ़ी है.जनगणना के आँकड़ों से आने वाले वक़्त में देश को आकार देने में मदद करने वाली प्रवृत्तियों का भी पता चलता है.

1. हिंदू और इस्लाम सबसे तेज़ी से बढ़ता धर्म

ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि देश में ख़ुद को ईसाई बताने वालों की संख्या 50 फ़ीसदी से कम हो गई है.अब ऑस्ट्रेलिया में केवल 44 फ़ीसदी ईसाई रह गए हैं.वहीं लगभग 50 साल पहले ईसाइयों की आबादी क़रीब 90 फ़ीसदी थी.हिंदू और इस्लाम अब ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते धर्म हैं.हालांकि इन दोनों धर्मों को मानने वाले लोगों की संख्या 3-3 ही प्रतिशत है.

2. बढ़ रही है देश की विविधता

ऑस्ट्रेलिया अब पहले से कहीं ज़्यादा विविध बन रहा है. आधु​निक ऑस्ट्रेलिया का निर्माण आप्रवासनसे हुआ है. हालांकि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की आधी से ज़्यादा आबादी या तो विदेशों में पैदा हुई है या उनके माता पिता विदेशों में पैदा हुए हैं.ऑस्ट्रेलिया में अभी सबसे ज़्यादा संख्या ऐसे लोगों की है जिनका जन्म ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ है, उसके बाद ऐसे लोग हैं जिनका जन्म इंग्लैंड में हुआ है. इन दोनों देशों के बाद तीसरा नंबर ऐसे लोगों का है जिनका जन्म भारत में हुआ है.

3. मूल निवासियों की आबादी भी तेज़ी से बढ़ी

ऑस्ट्रेलिया में ख़ुद को देसी या टोरेस स्ट्रेट आइलैंड के वासी बताने वालों की संख्या पिछली जनगणना के मुक़ाबले क़रीब एक चौथाई बढ़ी है.एबीएस के अनुसार, इसकी वजह न केवल नए लोगों का पैदा होना है, बल्कि इस समुदाय के लोग ख़ुद की देसी पहचान ज़ाहिर करने में अब पहले से ज़्यादा सहज हो रहे हैं.

4. मिलेनियल ने बेबी बूमर्स को छोड़ा पीछे

जनगणना के ताज़ा आंकड़ों की एक और ख़ासियत है कि देश की पीढ़ी अब बदल गई है.ऑस्ट्रेलिया में अभी तक ‘बेबी बूमर्स’ की संख्या सबसे अधिक थी.लेकिन अब ‘मिलेनियल’ की तादाद इनसे थोड़ी ज़्यादा हो चुकी है.देश की आबादी में इन दोनों ही समूहों का हिस्सा 21.5 प्रतिशत है.जानकारों का मानना है कि सरकार को अब आवास और बूढ़े लोगों के रहने की सुविधा पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत होगी.

ये भी पढ़ें-बरेली, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में भूकंप के झटके, बाहर निकले लोग

5. घर ख़रीदना हुआ मुश्किल

25 साल पहले ऑस्ट्रेलिया में क़रीब एक चौथाई लोग घर ख़रीदते थे, लेकिन अब यहां अपना घर ख़रीदना आसान नहीं रह गया है.तेज़ी से बहुत महंगा होने के चलते 1996 से अब तक बंधक रखी गई प्रॉपर्टी का हिस्सा बढ़कर दोगुना हो गया है.2022 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, घर ख़रीदने के लिहाज से अब ऑस्ट्रेलिया के शहर पूरी दुनिया में सबसे ख़राब रैंकिंग में आते हैं.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com