जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कानपुर के विश्वविख्यात चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय (सीएसए कृषि विश्वविद्यालय) पर लगातार सुर्खियों में है। इसपर लगातार धांधली के आरोप लगते रहे हैं।
इतना ही नहीं वर्तमान कुलपति की कार्यशैली को लेकर तमाम शिकायतें दर्ज कराई जाती रही है लेकिन इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं और तमाम तरह की मनमानी करते हुए नजर आ रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह के हवाले ये संस्थान फरवरी 2020 से है, लेकिन सालभर के अंदर ही कुलपति पर तमाम आरोप लगते रहे हैं। हालांकि अब उनका कार्यकाल अब खत्म हो गया है और चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के नए कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह बनाया गया है लेकिन विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. डीआर सिंह के कामकाज पर काफी सवाल उठ रहा है।
दअरसल अपने कार्यकाल के अंतिम तीन माह में जो फैसले लिए उसपर सवाल उठ रहा है और इस दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसले को रद्द करने की मांग उठने लगी है।
उधर इस पूरे मामले पर किदवई नगर के विधायक महेश त्रिवेदी ने कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. डीआर सिंह के अंतिम तीन माह में जो फैसले लिए उसे रद्द करने की मांग की है।
वहीं प्रबंध मंडल के सदस्य सत्य नारायण शुक्ला ने भी तत्कालीन कुलपति डॉ. डीआर सिंह पर निशाना साधा और बताया है कैसे उन्होंने नियमों पर ताक पर रखते हुए आखिरी तीन माह में कामकाज किया है।
उन्होंने भी कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. डीआर सिंह के अंतिम तीन माह में जो फैसले लिए उसे रद्द करने की गुहार लगायाी है। उन्होंने अपने पत्र में पुराने नियमों का हवाला देते हुए बताया है कि बताया है कैसे तत्कालीन कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने नियमों को ताक पर रखते हुए सारा खेल किया है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि सचिव, कुलाधिपति के परिषण 4646/जीएस, 28-02-86 के क्रम में सचिव, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 02 मई, 2000 को कुलपति, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौदयोगिक विश्वविद्यालय कानपुर को जारी किये शासनादेश में स्पष्ट रूप से निर्देशित कि-कुलपति कार्यकाल के अंतिम तीन माह में कोई नीतिगत निर्णय (स्थानांतरण, चयन, नियुक्ति लथा अन्य नीति) नहीं लेंगे लेकिन कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह जिनका कार्यकाल 11 फरवरी, 2023 को समाप्त हो रहा है लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई तरह के नीतिगत निर्णय लिए है जो शासन के नियमों के खिलाफ है। इतना ही नहीं आगे उन्होंने डॉ. दुनिया राम सिंह पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जाते-जाते भ्रस्टाचार को बढ़ावा दिया और खूब सारे धन की उगाही काम किया है।
बता दें कि सैलरी में होने वाली गड़बड़ी पर तत्कालीन मंडलायुक्त सुधीर एम बोबड़े ने विश्वविद्यालय पर जांच करने के आदेश दे दिए थे. जांच में कमिश्नर ने कृषि विश्वविद्यालय को दोषी मान लिया था. जिसके बाद शासन को अपनी रिपोर्ट भी दे दी थी. इसके साथ तत्कालीन वित्त नियंत्रक राजेश सिंह ने भी होने वाली धांधली से शासन को अवगत कराया था.