जुबिली स्पेशल डेस्क
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अब उनका एक बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। दरअसल उन्होंने ये बयान मुस्लिम समाज को लेकर दिया है। जिसको लेकर बहस देखने को मिल रही है।
उन्होंने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बड़ा बयान देते हुए कहा है कि आधुनिक शिक्षा को इस्लाम के खिलाफ माना जाता था। वे या तो इसे बैन करना चाहते थे या मुस्लिम छात्रों को इसे पढऩे से रोकना चाहते थे।
उनके इस बयान को देखा जाये तो वो मुस्लमानों को ही उनकी हालत के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने इस्लामिक कट्टरपंथियों पर निशाना साधते हुए कहा किवे उन मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा हासिल करने के लिए भेजा।
इस दौरान उन्होंने अपनी बात रखते हुए एएमयू के स्थापना करने वाले सर सैय्यद का जिक्र करने से भी नहीं चूके और कहा कि सर सैय्यद ने कहा कि हम (मुस्लिम) अपने पिछड़ेपन के लिए खुद जिम्मेदार हैं, उन्होंने दोष मढऩे की कोशिश नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुसलमान शिक्षा के मामले में पिछड़े रहेंगे तो वे पूरे देश के लिए मुसीबत बन जाएंगे।
Delhi| ‘Fatwas’ are never used because of religious reasons. There are 200 instances in Quran & no human being can decide who is right and who is wrong. ‘Fatwas’ are being used as a political weapon: Kerala Governor Arif Mohammed Khan (15/01) pic.twitter.com/xZWmZPd3QD
— ANI (@ANI) January 16, 2023
केरल के राज्यपाल ने सम्मेलन में कहा, ‘कुफ्र फतवे वास्तव में केवल राजनीतिक कारणों से दिए जाते हैं और राजनीतिक हथियारों के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।’ बता दें कि वह धार्मिक फरमानों का जिक्र कर रहे थे, जहां कार्यों को ‘कुफ्र’ के रूप में निंदा की जाती है। इसका अर्थ है कि वे आपको धर्म के प्रति अविश्वासियों या अविश्वासियों की श्रेणी में लाते हैं।
बता दें कि पिछले साल केरल सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच का टकराव बढ़ गया था जब केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए केरल कलामंडलम डीम्ड-टू-विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद से हटा दिया है।
केरल सरकार ने गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान को कुलाधिपति के पद से हटाया गया था। दूसरी ओर केरल सरकार की ओर से कहा था गया कि राज्यपाल केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के प्रतिनिधि हैं और राज्य के डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) प्रशासन के साथ अपने रोजाना के टकराव के लिए जाने जाते हैं।