जुबिली स्पेशल डेस्क
पिछले कुछ समय से भाजपा सांसद वरुण गांधी किसानों की समस्याओं को लेकर अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं। वह कई बार किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र से लेकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।
इतना ही नहीं वरुण गांधी मोदी सरकार को नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन सवाल ये हैं कि आखिर क्यों अपनी ही सरकार से वरुण गांधी खफा है। दरअसल इसकी कहानी काफी पुरानी है। पिछले साल बीबीसी में एक रिपोर्ट छपी थी। इस रिपोट में बताया गया था कि आखिर क्यों वरुण गांधी अपनी सरकार पर हमलावर है।
बीबीसी की इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की राजनीति को कऱीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र नाथ भट्ट ने कहा था कि जिस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उस समय बीजेपी का मानना था कि उत्तर प्रदेश में सोनिया गांधी को काउंटर करने के लिए अगर गांधी परिवार से ही कोई हो तो उनके लिए लाभ होगा और इसीलिए मेनका गांधी लगातार बीजेपी की ओर से संसद में बनी रहीं।
लेकिन आज के समय में मेनका गांधी और वरुण गांधी की वो राजनीतिक प्रासंगिकता नहीं रह गई है। इसकी एक वजह ख़ुद कांग्रेस की स्थिति भी है, जो अब उतनी मज़बूत नहीं रह गई है।
बीजेपी ने पिछले साल वरुण गांधी और उनकी मां दोनों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से अलग-थलग कर दिया था। अभी दो दिन पहले वरुण गांधी का एक बयान भी बीजेपी से उनकी नाराजगी को फिर से जाहिर करता है।
सोशल मीडिया पर उनका ताजा बयान भी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वो कह रहे हैैं मैं न कांग्रेस के खिलाफ हूं और न ही मैं पंडित नेहरू के खिलाफ हूं।
हमारे देश की राजनीति देश को जोडऩे के लिए होनी चाहिए, न कि गृहयुद्ध करवाने की राजनीति होनी चाहिए। धर्म और जाति के नाम पर वोट देने वालों को बेरोजगारी, महंगाई और चिकत्सा पर भी सवाल पूछना चाहिए। इसके साथ उन्होंने कहा कि हमको ऐसी राजनीति नहीं करनी है, जो लोगों को दबाये। हमें लोगों को उठाने वाली राजनीति करनी है। वरुण गांधी ने कहा कि इस समय किसान बहुत बड़े संकट में है, कोई भी मीडिया चैनल दिखाने को तैयार नहीं है।
https://twitter.com/suryapsingh_IAS/status/1608179293166899205?s=20&t=_bDz-vGRKKVlEhGGJZAy6A
केवल हिन्दू-मुस्लिम, जाति-पाती लिखा और दिखाया जा रहा है, वह भी तोते की तरह। भाई को बांटो और भाई को काटो। ये राजनीति हम होने नहीं देंगे, अंग्रजों के समय का काम कब तक चलता रहेगा? उन्होंने कहा कि नेता वो होता है, जो अपनी जनता को कंधे पर बैठा के चले न कि उसे अपनी जूते की नोक पर रखे। इसके बाद से कहा जा रहा है कि 2024 में वरुन गांधी बीजेपी का साथ कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकते हैं।