यशोदा श्रीवास्तव
काठमांडू। अंततः शेर बहादुर देउबा की हठवादिता नेपाली कांग्रेस गठबंधन को सत्ता से दूर करने के कगार पर है।
प्रचंड प्रधानमंत्री बनने को इच्छुक थे, देउबा उन्हें दूसरी भूमिका देना चाहते थे।कुछ दिन की खींचतान के बाद बात नहीं बनी। इधर एमाले प्रचंड के नेपाली कांग्रेस से दूर होने के इंतजार में थे।
नेपाली कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए वे प्रचंड को प्रधानमंत्री बनाने को तैयार बैठे थे। ओली और प्रचंड के बीच बात बन गई। प्रचंड ओली के साथ जा मिले। अब ओली के साथ अन्य गठबंधन के सहयोगियों के सहारे प्रचंड के नेतृत्व में सरकार गठन का ऐलान कभी भी हो सकता है।
चुनाव बाद नेपाल में सरकार गठन के कशमकश के बीच एक नए गठबंधन की सुगबुगाहट से काठमांडू में राजनीति गरमा गई है। कहना न होगा कि बिल्कुल अलग थलग पड़ चुके एमाले मुखिया केपी शर्मा ओली सरकार गठन को लेकर नए सहयोगियों की तलाश में जुट गए हैं। और जैसा कि उनके गठबंधन के सहयोगियों का जो नाम सामने आ रहा है,उस हिसाब से वे सरकार बनाने के जरूरी संख्या 138 के मुकाबले 144 की संख्या जुटाने में कामयाब दिख रहे हैं।
ओली यदि इस गणित के सहारे नेपाली कांग्रेस को सत्ता से दूर रख पाने में कामयाब हो जाते हैं तो माना जाना चाहिए, ये चीन के मुकाबले भारत की कूटनीतिक हार है।
और तब नेपाल को लेकर अपनी विदेश नीति, कि भारत किसी दूसरे या तीसरे देश के आंतरिक मामले में दखल नहीं देता,कहकर बड़ी खूबसूरती से इस नाकामयाबी पर पर्दा डालने की कोशिश होगी।
बता दें कि आम चुनाव में नेपाली कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने के लिए मात्र दो सीटों की कमी के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है। सहयोगियों को दरकिनार कर यदि अकेले दल को ही बड़ा दल मानें तो भी 79 सीटों के साथ नेपाली कांग्रेस संसद में बड़ा दल है।
नेपाल में भी सबसे बड़े दल को ही सरकार गठन के लिए आमंत्रित करने की परंपरा है लेकिन राष्ट्रपति को लगता है कि ऐसी सरकार स्थिरता देने में सफल नहीं होगा तो उसे गठबंधन के साथ सरकार बनाने का विकल्प देने का अधिकार है।
इधर जब सभी दलों ने अपने और अपने सहयोगियों की सदस्य संख्या राष्ट्र पति को सौंप दी है और नेपाली कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में है तब ओली की सक्रियता अचंभित करने वाला है।
नेपाली कांग्रेस गठबंधन में प्रमुख सहयोगी प्रचंड भी प्रधानमंत्री पद के लिए लालायित हैं। इसके अलावा नेपाली कांग्रेस के भीतर भी कुछ नेताओं में इस पद को लेकर हिलोरे मार रही है।
लेकिन काठमांडू से जैसी ख़बरें आ रही है उसके अनुसार भारत की दिलचस्पी नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री के रूप में देखने की है।
शेर बहादुर देउबा भी इसी जिद पर अड़े थे।इस बीच ओली और प्रचंड की एक मुलाकात सुर्खियों में आ गई।
इन दोनों पुराने सहयोगियों के मुलाकात के बीच प्रचंड के 32, राप्रपा के 14, एक अन्य पार्टी के 20 सदस्यों के 78 सदस्य संख्या वाले ओली की पार्टी एमाले के साथ आने की खबर के साथ ओली और प्रचंड के राष्ट्रपति से मुलाकात की खबर भी है।
भारत सीमा से सटे नेपाल के एक संसदीय क्षेत्र से एमाले पार्टी से विजई हुए सांसद मंगल प्रसाद गुप्ता का साफ कहना है कि हमारी पार्टी सरकार बनाने के प्रयास में है। और काफी संभावना है कि आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीति में कोई चौंकाने वाला परिणाम दिखाई दे।