जुबिली न्यूज डेस्क
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में खरीदी गई एंबुलेंस को लेकर एक खुलासा सामने आया है। जिसे जानकर आप को भी हैरानी होगी। दरअसल खरीदी गई एंबुलेंस में ब्लोअर सहित कई महत्वपूर्ण फीचर के नहीं होने की जानकारी तत्काल मिल गई थी, लेकिन कोविड की आड़ लेकर मामले को दबाए रखा गया। बता दे कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में खरीदी गई 3018 एंबुलेंस में घालमेल कंपनी और अफसरों की मिलीभगत से किए जाने की आशंका है।
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एंबुलेंस की खरीद तीन चरणों में की गई थी। पहले चरण में 662 वाहनों की आपूर्ति होने के बाद ही टेंडर की शर्तों के मुताबिक फीचर नहीं होने की जानकारी मिल गई थी। इसके बाद भी दूसरे चरण में 812 और तीसरे चरण में 1544 एंबुलेंस की आपूर्ति कराई गई।
मामले पर पर्दा डालने का प्रयास
स्वास्थ्य विभाग ने इन एंबुलेंस को रिसीव करते समय तात्कालिक तौर पर फीचर न होने की जानकारी नहीं दी। पूरे मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया। कुछ समय बाद कोरोना काल आ गया। यह वक्त विभागीय अफसरों के लिए मुफीद साबित हुआ। धीरे-धीरे तीन साल का बीत गया। इधर सभी एंबुलेंस मरीजों को ढोने में लगी रहीं। मई 2022 में स्वास्थ्य विभाग और एनएचएम में टेंडर के मुताबिक एंबुलेंस की आपूर्ति नहीं होने के संबंध में शिकायत की गई।
ये भी पढ़ें-ट्विटर पर अखिलेश यादव और नंदगोपाल नंदी में तकरार, जानें मामला
ऐसे हुआ खुलासा
इसके बाद एनएचएम के अधिकारियों को अपना गला फंसता नजर आया। ऐसे में मिशन की ओर से 17 मई को एक पत्र जारी किया गया। इसमें स्पष्ट किया गया कि टेंडर की शर्त के मुताबिक एंबुलेंस की आपूर्ति नहीं हुई है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने जांच के नाम पर मामले को दबाए रखा।जब स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस की नई खेप आई है। इसके फीचर देखने के बाद बाद विभागीय अफसरों को अपनी गर्दन फंसती नजर आई। ऐसे में पूरे मामले की नए सिरे से जांच कराई जा रही है। आखिर इतने दिन तक इस मामले को क्यों दबाए रखा गया? इस सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं है।
ये भी पढ़ें-अगले महीने लखनऊ में क्रिकेट की बहार, इंटरनेशनल मैच के साथ-साथ डोमेस्टिक क्रिकेट की धूम