- अद्भुत दृश्य होगा फूल बगिया में जनकनंदिनी व राम का एक दूसरे को देखना..
- सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाएगी रामायण मेला समिति…
अयोध्या। रामनगरी के रामायण मेले में रामविवाह उत्सव मनाया जाएगा। चार दिवसीय यह मेला सत्ताइस से तीस नंवबर तक आयोजित होगा। कोविड व दीपोत्सव से प्रभावित रामामण मेले में जान फूंकने के लिए रामामण मेला समिति ने तैयारियां प्रारंभ कर दिया है। तुलसीदल पत्रिका के प्रकाशन का भी निर्णय लिया गया है।
डा लोहिया की परिकल्पना पर आधारित रामायण मेला की शुरुआत सन् 1982 में मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र के कार्यकाल में हुई थी। अयोध्या की साथर्कता के साथ शानदार सफर की शुरुआत करने वाला यह मेला कोविड महामारी का शिकार हो गया। दीपोत्सव कार्यक्रम के शोर में रामायण मेला में गूंजने वाली विद्वानों की आवाज दब गई। सरकार ने इसे दस लाख की आर्थिक सहायता से नवाजा भी था लेकिन पिछले तीन वर्ष से यह सहायता भी बंद हो गई है। समिति ने संयोजक आशीष मिश्र एवं मंत्री एस एन सिंह को यह जिम्मेदारी दी है कि वे पर्यटन एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश से समन्वय स्थापित करके कार्यक्रम की रूपरेखा तय करें ।
इस वर्ष रामायण मेला 27 से 30 नवंबर तक आयोजित होना है। इस क्रम में रामायण मेला समिति अयोध्या ने मणिराम दास छावनी में बैठक किया। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास की अध्यक्षता में कई बड़े निर्णय लिए गए। मेले में दोपहर दो से छ बजे तक होने वाले संत सम्मेलन में देश दुनिया के विद्वान प्रतिभाग करेंगे। इसकी तैयारी के लिए समिति के चार सदस्यों कमलेश सिंह ,नागा राम लखन दास ,डॉ जनार्दन उपाध्याय एवं आशीष मिश्र की कमेटी गठित की गई, जो देश भर के विद्वानों को आमंत्रित करेगी। गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी डॉ जनार्दन उपाध्याय को तुलसीदल पत्रिका के संपादन की रूप रेखा तैयार करने की जिम्मेदारी प्रदान की गई ।समिति के संयोजक आशीष मिश्र ने कुछ नए थीम पर कार्यक्रम को कराने का प्रस्ताव रखा जो कि सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
इस वर्ष रामायण मेला में राम विवाह का उत्सव मनाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत चार दिन पारंपरिक तरीके से राम जी का विवाह चार दिवसों में संपन्न होगा। सुमित्रा को गौरी पूजन के लिए सीता को भेजना और दूसरी तरफ गुरु विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को पूजन के लिए फूल लेने के लिए भेजना । फूल बगिया में सीता का राम को देखना और सखियों द्वारा संवाद एवं गीत सखियों द्वारा सीता से राम जी का वर्णन। गौरी पूजन, धनुष टूटना ,रावण उपहास, रावण बाणासुर संवाद, परशुराम आगमन ,परशुराम लक्ष्मण संवाद ,स्वयंवर गीत पहले दिन होगा।
दूसरे दिन राम लखन का गुरु विश्वामित्र की आज्ञा के बाद दशरथ से मिलना, बारात आगमन गीत, द्वार पूजा ,मिथिला की गारी ,परछावन, बारातियों का उपहास, विवाह मंडप आगमन , विवाह गीत, वर पूजन ,दोनों कुल का वंशावली वर्णन, कन्यादान, पाव पूजन ,पाणिग्रहण, सिंदूरदान, सप्त पद गीत ,भावर फेरे गीत, विवाह सखियों के द्वारा परिहास मजाक उड़ाना, लोकाचार गीत शामिल है।
तीसरे दिवस में राम कलेवा , समधी मिलन ,सब को विदाई देकर संतुष्ट करना, भोजन, मजाक ,जनकपुर से डोम और डोमिन द्वारा राम अपने थाली में से भोजन देते हुए धूम द्वारा गीत गाना रहेगा। प्रेम वश बारातियों का लगभग एक महीना मिथिला में रुकना ,विदाई रस्म, विदाई गीत, सुरैया द्वारा राम को समझाना , अंगूठी की रस्म ,समस्त जनकपुरी द्वारा प्रसन्न होकर बारातियों का विदाई करना अयोध्या में सीता का आगमन के बाद पूजन, परछावन एवं अयोध्या में उत्सव गीत अंतिम दिन का आकर्षण होगा।
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समिति के उपाध्यक्ष महंत जनमेजय शरण जानकी घाट ने बताया कि इस प्रकार पारंपरिक कार्यक्रम होने पर हमारे पारंपरिक गीत एवं परंपराएं पूरी दुनिया में प्रचारित एवं प्रसारित होंगी। रामामण मेला समिति खो रही परंपरा, लोकगीत एवं गायन को पुनः संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। बैठक में समिति के संरक्षक डॉ निर्मल खत्री, उपाध्यक्ष महंत जनमेजय शरण मंहत जानकी घाट, उपाध्यक्ष अवधेश कुमार दास बड़ा भक्तमाल, उपाध्यक्ष नागा राम लखन दास, उपाध्यक्ष कमलेश सिंह ,महामंत्री बीएन अरोड़ा ,कोषाध्यक्ष दीप कृष्ण वर्मा ,संपादक तुलसीदल डॉ जनार्दन उपाध्याय, कार्यालय मंत्री नंद कुमार मिश्र, मंत्री उमेश श्रीवास्तव ,सदस्य श्रीनिवास शास्त्री प्रभात शर्मा ,सुरेंद्र सिंह (नीटू) ,आनंद शास्त्री , अवधेश अग्रहरी आदि सदस्य उपस्थित रहे।
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