Saturday - 26 October 2024 - 2:11 PM

ज्ञानवापी से लेकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि तक, जानें किस मामले में अब तक क्या हुआ

जुबिली न्यूज डेस्क

आज ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट का अहम फैसला आया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ज्ञानवापी का मामला सुनने लायक है। इस मामले में पूजा स्थल कानून 1991 नहीं लागू होता है। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है और इस मामले को सुनवाई के योग्य माना है।

फैसला हिंदू पक्ष में आने के बाद अब मुस्लिम पक्ष इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देगा। मुस्लिम पक्ष जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकता है।अलावा अभी देश में दो बड़े मुद्दे कोर्ट में लंबित हैं। पहला मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद और दूसरा दिल्ली का कुतुब मीनार विवाद। ज्ञानवापी समेत इन तीनों मामलों की सुनवाई अलग-अलग कोर्ट में चल रही है। अब तक इन तीनों मामलों में क्या-क्या हुआ और कब तक फैसला आने की उम्मीद है?

 ज्ञानवापी मामला

18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी में स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश पर 16 मई 2022 को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 मई 2022 से इस मामले में जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मामले में न्यायालय इस बात पर सुनवाई कर रही थी कि आजादी के समय पूजा स्थल कानून ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में लागू होता है या नहीं। अब कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ज्ञानवापी का मामला सुनवाई के लायक है। मतलब अब असल मायने की सुनवाई होगी। जिसमें ये तय होगा कि ज्ञानवापी परिसर हिंदू पक्ष का है या मुस्लिम?  वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं।

 श्रीकृष्ण जन्मभूमि 

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है। 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने विवादित स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की भी  मांग की थी। निचली अदालत में ये मामला लंबित है। लगातार देरी होने के चलते याचिकाकर्ता मनीष यादव ने हाईकोर्ट का रूख किया। मनीष ने हाईकोर्ट में भी यही मांग की। इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत से आख्या मांगी। इसी मामले में हाईकोर्ट में 29 अगस्त को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मंदिर पक्ष की ओर से निचली अदालत में दाखिल अर्जी पर चार महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।

कुतुब मीनार मामला

दिल्ली के कुतुब मीनार को लेकर भी विवाद जारी है। हिंदू संगठन ने याचिका दायर की है कि कुतुब मीनार को 27 हिंदू देवी-देवताओं और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है। इसलिए इसमें पूजा करने की अनुमति दी जाए। इसे विष्णु स्तंभ बताया गया है। याचिका में मंदिर के जीर्णोद्वार की मांग की गई है। दिल्ली की साकेत कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों ओर से बहस भी हो चुकी है। वहीं, एएसआई ने मंदिर होने के दावे को खारिज किया है। एएसआई के एडवोकेट सुभाष गुप्ता ने कहा था कि अदालत के आदेश से छेड़छाड़ का कोई आधार नहीं है।

मुस्लिम पक्ष क्या करेगा अब?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महल ने एक बयान जारी कर कहा कि इस पूरे फैसले को पढ़ा जाएगा और उसके बाद ही आगे क्या करना है, ये तय करेंगे। मुस्लिम पक्ष अभी इस फैसले को किसी ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात साफ-साफ नहीं कह रहा है। लेकिन माना जा रहा है कि इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

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