- पर्यावरणविद डाक्टर विनोद कुमार चौधरी की परियोजना के लिए धनराशि स्वीकृति
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। सरयू वैदिककालीन नदी है। देश की अन्य नदियों की तुलना में सबसे कम प्रदूषित भी है। सरयू नदी प्रदूषित ना हो इसके लिए डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के शिक्षक डाक्टर विनोद कुमार चौधरी की शोध परियोजना पर योगी सरकार ने तीन लाख पैंसठ हजार की धनराशि स्वीकृत किया है।
सरयू के पानी में लगभग 6 मिलीग्राम प्रति लीटर आक्सीजन की मात्रा है। विकास की अंधी दौड़ में शामिल देश की नदियों में सरयू नदी ही अभी तक प्रदूषित नहीं हुई है।
हिमालय के कुमाऊं क्षेत्र निकलने वाली सरयू नदी लगभग साढ़े तीन सौ किलोमीटर की यात्रा तय कर बिहार के बक्सर में गंगा से मिल जाती है। सरयू के तट पर जो प्रमुख शहर स्थापित है उसमें आजमगढ़, बहराइच, सीतापुर, गोंडा, अंबेडकरनगर, अयोध्या, आरा, छपरा, बलिया प्रमुख हैं। छोटे-मोटे औद्योगिक इकाइयों को छोड़कर अभी तक सरयू तट के किनारे बड़े औद्योगिक प्लांट नहीं लगे हैं। अयोध्या के विकास को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशें जगजाहिर हैं। योगी सरकार ने सेन्टर आफ एक्सीलेंस योजना के अर्न्तगत डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के पर्यावरण विज्ञान के सहआचार्य डाक्टर विनोद कुमार चौधरी को एक शोध परियोजना अयोध्या क्षेत्र, उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दशकीय पैमाने पर भू-आकृतिक एवं प्रवाह में परिवर्तन तथा बाढ़ नियंत्रण के उपायों का अध्ययन हेतु रूपये 3,65,000/ प्रतिवर्ष स्वीकृत किया है।
शोध परियोजना के अर्न्तगत उपग्रह चित्रों का उपयोग करके अयोध्या क्षेत्र में सरयू नदी का भू-आकृति विज्ञान मानचित्र तैयार किया जाएगा। अयोध्या क्षेत्र में सरयू नदी की आकृति पर जलवायु और टेक्टोनिक के प्रभावों का अध्ययन करने के साथ सेडीमेन्टेशन के पैटर्न और उनकी संशोधित प्रक्रियाओं पर भू-आकृतिक विशेषताओं के प्रभावों की पहचान करना योजना में शामिल है।
पैलियोचैनलों का कालक्रम स्थापित करना और ल्यूमिनेसिसेंस डेटिंग का उपयोग करते हुए पिछले जलवायु और पर्यावरण के सम्बन्धों का अध्ययन करने से जो निष्कर्ष निकलेगा उसके अनुसार अयोध्या का पर्यावरणीय माहौल तैयार किया जाएगा।
सरयू नदी का काफी जल सिंचाई परियोजनाओं द्वारा नहरों के लिये फीडर पम्पों और बाँधों के माध्यम से निकाला जाता है। शारदा नहर परियोजना भारत की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
जिसके कारण इस नदी का जल प्राकृतिक रुप से काफ़ी कम हो चुका है। नदी प्राकृतिक जलजीवों के लिये सुरक्षित नहीं रह गयी है। सरयू में सूंस( डाल्फिन) सबसे ज्यादा पाई जाती है जिनकी आबादी समाप्ति के खतरे से जूझ रही है। सरयू नदी के जल में ऑक्सीजन की मात्रा लगभग 6 मिलीग्राम प्रति लीटर है कोविड-19 में जब लॉकडाउन लगा था तो यह मात्रा बढ़ कर 8.1 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई थी।
मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या मेगा सिटी बनने जा रही है। विकास के मद्देनजर तमाम ऐसे अपशिष्ट पदार्थ निकलेंगे जो सरयू नदी को प्रदूषित करेगें। नदी को प्रदूषण से बचाने की एक बड़ी चुनौती है।
उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई बड़ी पहल नहीं की है। अयोध्या में एक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट जरूर लगाया जा रहा है। कूड़ा निस्तारण पर भी अभी कोई ठोस योजना नहीं बनी है। पर्यटन विशेषज्ञ आचार्य मनोज दीक्षित ने अयोध्या विकास प्राधिकरण की बैठक में राममंदिर के परिप्रेक्ष्य में सीवर मैनेजमेंट, वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में प्रजेंटेशन दिया था। कुछ पर मनमसोस कर कार्य प्रारंभ हुआ तो कुछ नौकरशाही की कच्छप गति का शिकार हैं।
इसके अलावा डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के तीन शिक्षकों, प्रोफेसर नीलम पाठक, डॉ विनोद कुमार चौधरी, इंजीनियर अश्वनी सोनकर ने सरयू को प्रदूषण मुक्त रखने की चुनौती को स्वीकार किया है।
तीन अलग अलग विभागों के इन शिक्षकों ने एक कार्ययोजना बनाई है जिसमें एक प्रयोगशाला की स्थापना होनी है। प्रयोगशाला का नाम भी सरयू दिया गया है। इस कार्ययोजना पर लगभग डेढ़ करोड़ की धनराशि खर्च होने का अनुमान है।
सरयू जल के माइक्रोबायोलॉजिकल स्टेटस पर बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रोफेसर नीलम पाठक, नदी के ज्योग्राफिकल मैपिंग का काम सिविल विभाग के इंजीनियर अश्वनी सोनकर व पानी के फिजियोकेमिकल एनालिसिस का कार्य पर्यावरण विभाग के डॉ विनोद चौधरी देखेंगे। इस योजना के मास्टर माइंड डाक्टर विनोद कुमार चौधरी इसके पहले भी गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए एक फार्मूला पेटेंट करा चुके हैं। जिसमें शवों के अंतिम संस्कार से होने वाले प्रदूषण से नदियों को बचाया जा सकता है।
मंदिर निर्माण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या को पर्यटन की दृष्टि से भी विश्वस्तरीय बनाना चाहते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों से नदी का जल प्रदूषित तो होता ही है। स्नान करने से भी जल प्रदूषित हो जाता है। मंदिर के चलते लाखों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक आएगें। अयोध्या में लगभग पूरे वर्ष धार्मिक मेलों का माहौल रहता है। लगभग छः हजार मंदिरों में रहने वाले लाखों साधू संत सरयू जल से स्नान करते हैं।
डाक्टर विनोद चौधरी ने बताया कि इन परिस्थितियों में सरयू नदी की हेल्थ मेंटेन रहे इसके लिए अवध विश्वविद्यालय चितिंत है। कुलपति प्रो रविशंकर सिंह के मार्गदर्शन में सरयू प्रयोगशाला के साथ अन्य प्रोजेक्ट पर भी कार्य चल रहा है। वायु प्रदूषण पर कार्य करने के लिए शासन से मिली आर्थिक सहायता से रामनगरी मेंं तीन स्थानों पर मानिटरिंग हो रही है। वायु प्रदूषण के साथ सरयू का जल प्रदूषण अभी संतोषजनक है लेकिन राममंदिर निर्माण के बाद यह चुनौती गंभीर होगी।