Monday - 28 October 2024 - 4:02 PM

मेरे जीवन को नए सबक दे गयी आजादी गौरव यात्रा

विश्व विजय सिंह

9 अगस्त ‘क्रांति दिवस’  से कांग्रेस पार्टी द्वारा स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की याद एवं सम्मान में निकाली जा रही ‘आजादी गौरव यात्रा’ में भाग लेने के लिए अपने प्रभार क्षेत्र में सर्वप्रथम बनारस के रामनगर में जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले अगस्त क्रांति का हिस्सा रहे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व प्रधानमंत्री स्वo लालबहादुर शास्त्री जी के आवास पर हम सब इकट्ठा हुए, जहाँ “जय जवान, जय किसान”, भारत माता की जय,  महात्मा गांधी अमर रहे, पंडित नेहरु अमर रहे के उद्घोष के साथ यात्रा की शुरुआत पर महसूस हुआ कि आज जब किसान-जवान पर सर्वाधिक संकट हो, देश का जवान बेरोजगारी और आर्थिक तंगी पर जान दे रहा हो, किसान अपनी बदहाली पर आंदोलन के लिए बाध्य हो और इनकी समस्याओं के निराकरण के बजाय मौजूदा व्यवस्था एक ऐसे समाज के निर्माण में लगी हो जिसमे गाँधी-नेहरू को गाली देना एवं आजादी के इतिहास को मिटाने की कोशिश हो तब ऐसे में आजाद भारत के नागरिक के तौर पर शास्त्री जी के प्रतिमा के समक्ष खडा होने पर स्वयं में अपराध बोध महसूस हुआ, यात्रा महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेस अध्यक्ष रहे महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ पहले दिन स्थगित हुई, मौजूदा व्यवस्था ऐतिहासिक शिक्षण संस्थानों को बर्बाद कर देना चाहती हो और शिक्षण संस्थानों को निजी हाथों में सौप देने पर आमादा हो , पढ़े-लिखे छात्र बेरोजगार हो रहे हो तो लगता है जैसे मौजूदा व्यवस्था मालवीय जी की भावना के विपरित कार्य कर रही है। मालवीय जी की प्रतिमा के समक्ष खड़े होने से मौजूदा युवा, किसान  विरोधी सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध की प्रेरणा मिलती है।

पिंडरा (बनारस) की यात्रा के दौरान ग्राम- थरी फूलपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वo सीताराम मिश्रा के पौत्र श्री विशाल मिश्रा जी एवं करखिआव गांव जहाँ 22 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार है यहाँ के श्री अशोक सिंह बाबा जिनकी मां सुरसत्ती देवी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रही तथा इसी गांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्वo अवधू सिंह के पुत्र श्री महातिम सिंह को सम्मानित किया। नेहरू-गांधी के प्रति सम्मान और कांग्रेस से अपने पूर्वजों के रिश्तों के लेकर  भावुक एवं उत्साहित दिखे। राजनैतिक स्वार्थ के लिये गांधी-नेहरु की हो रही नकारात्मक आलोचना को लेकर अपनी पीड़ा भी व्यक्त की। यात्रा, संवाद, संपर्क और गांधी-नेहरू के विचारों को लेकर आमजन के बीच निरन्तर जाने का निर्देश पूरे अधिकार के साथ इन लोगों ने हमें दिया। संवाद के दौरान हमने महसूस किया कि इन परिवारों के ह्रदय में कांग्रेस जीवित है और कांग्रेस हमारी है यह भाव इनके अन्दर मौजूद है।

आजादी गौरव यात्रा के दौरान आजमगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्वo सूर्यवंश पुरी जी के परिवार से मिला और उनके पुत्र श्री योगेश पुरी जी व उनके परिवार को सम्मानित किया। इस दौरान बेहद भावुकता के साथ ही कांग्रेस पर अपना अधिकार जताते हुए बोले कांग्रेस में स्वतंत्रता सेनानी परिवारों से भेंटवार्ता का आभाव इधर कुछ रहा है जो दुःख की बात है कांग्रेस हमारा परिवार है और देश को आजाद कराने और बनाने वाली पार्टी है। कांग्रेसजनों को निरंतर संवाद कायम रखना चाहिए।

निर्धारित कार्यक्रम के तहत स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित यात्रा में बनारस के ग्राम सभा गंजारी में हमारी मुलाक़ात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री सीताराम शास्त्री जी से हुई, शास्त्री जी की उम्र 103 वर्ष है। बढ़ती उम्र में भी, उनके अंदर जोश, जज़्बा और जुनून का समंदर हिचकोले खा रहा है। उनकी बताई हुई बातें हम लोगों के लिए प्रेरणादायी है। ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’  के नारे और कहानियां हमने पढ़े या सुने हैं। लेकिन 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में श्री सीताराम शास्त्री जी महीनों जेल रहे साथ ही अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा लगाए गए 10 रुपया जुर्माना को अदा नही कर पाने की वजह से अतिरिक्त जेल की सजा भी काटनी पड़ी।

याददाश्त उम्र के लिहाज से थोड़ा कमजोर हुई है, लेकिन महात्मा गांधी एवं पंडित नेहरू का नाम आते ही उनके चेहरे का भाव व आँखों की चमक देखने लायक थी। बेहद भावुक होते हुए बोले गांधी-नेहरू विरले व्यक्ति थे। युगों में ऐसे महामानव पैदा होते है गांधी जी तो सही मायने में महात्मा थे आजादी की लड़ाई में ऐसे लोगों के नेतृत्व में काम करने को उन्होंने उन्होंने अपना सौभाग्य बताते हुए भावुक हो गए।

आजाद हिंदुस्तान में भारत निर्माण को लेकर नेहरू जी की दृष्टि पर उन्होंने बहुत गंभीर चर्चा की। विदेशों में उस समय खेती में तकनीकी प्रयोग की बात नेहरू जी करते थे और भारत निर्माण के खाके पर लगातार चर्चा करते थे। नेहरू जी चाहते थे कि हमारे देश का किसान और युवा कितना जल्दी दुनिया के साथ कदमताल करने लग जाय इसीलिए उन्होंने बड़े-बड़े बांध, नहरे, शैक्षणिक संस्थान, कल-कारखाने आजादी मिलते ही बनाने व लगाने शुरू कर दिये। आजादी के बाद हमें क्या-क्या करना है ये बात जब नेहरू जी करते थे तब गांधी जी यह कैसे होगा,  हमारे पास संसाधनों की कमी है इस पर बहुत चिंतित रहते थे। आज़ाद हिंदुस्तान की फ़िज़ाओं और आज़ादी के संघर्ष में श्री सीताराम शास्त्री जी ने कई बार गांधी-नेहरू को सुना है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि गाँधी-नेहरू को याद किये बिना हम स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास की कल्पना नही कर सकते। हमने देश आजाद कराने और आजादी के बाद इसे बनाने में नेहरू जी की दूरदर्शिता को देखा है।

भारत की आज़ादी और नव-निर्माण में गाँधी-नेहरू के योगदान को याद कर कई बार भावुक भी हुए और कहा कि नेहरू जी सबको सुनने और साथ लेकर चलने वाले बड़ी सोच के नेता थे। बातचीत के दौरान हम लोग जलपान किये कि नही अपनी बातचीत को रोक कर श्री सीताराम शास्त्री जी बीच मे कई बार पूछे और जलपान कराने के बाद ही संतुष्ट हुए। हम लोगों के विदा लेने की अनुमति मांगने पर भावुक होकर खड़ा हो गए। आज़ादी गौरव यात्रा के दौरान शास्त्री जी समेत कई सारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उनके परिवारों से मिलना मेरे लिए बेहद गौरवपूर्ण एवं प्रेरणास्पद रहा।

सिद्धार्थनगर से लेकर वाराणसी तक आजादी गौरव यात्रा के दौरान भारत माता की जय और गांधी-नेहरू अमर रहे के नारे लगाने पर जिस प्रकार लोगो का हाथ उठाकर उत्साहपूर्ण समर्थन मिलता था और चेहरे की चमक देखकर हमने महसूस किया कि गांधी-नेहरू इस देश के आमजन के रग-रग में एवं इनका किरदार राजनीति से बहुत ऊपर है,  इन्हें किसी परिधि में बांधना संभव ही नही है। महज राजनैतिक स्वार्थ के लिये इनकी आलोचना कोई कर सकता है पर नेहरू तो स्वयं आलोचनाओं को आत्मसात करने वाले महामानव थे। मेरा मत है कि इस देश मे गांधी-नेहरू और उनके विचार हमारे बीच जब तक जीवित हैं तब तक लोकतंत्र को समाप्त करना तो दूर कमजोर भी नहीं किया जा सकता।

घर घर तिरंगा,  हर घर तिरंगा भारत सरकार की योजना गाँधी नेहरु की सोच के अनुरूप कांग्रेस की वैचारिक चारिक जीत है।

एक ख़ास विचारधारा के लोग अब तक तिरंगे को स्वीकार नही कर पा रहे थे अब तिरंगा हाथों में लेकर घूमने को विवश है। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन हो, संविधान हो, परिवार नियोजन हो, वंचितों के लिए आरक्षण हो, कम्प्यूटर हो या तिरंगा उस विचारधारा ने सबका विरोध किया और अब सब स्वीकार करने को विवश है इससे कांग्रेस के वैचारिक मजबूती और देश निर्माण के लिये उसकी दूरदृष्टि सर्वोत्कृष्ट है।

हम अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्रीमती सोनिया गांधी जी, जननेता श्री राहुल गांधी जी एवं राष्ट्रीय महासचिव प्रभारी उत्तरप्रदेश श्रीमती प्रियंकागांधी जी के आभारी है कि उन्होंने  राष्ट्रीय स्तर पर ‘आजादी गौरव यात्रा’ निकालने का ऐतिहासिक निर्देश इस बार भी देकर हमारे जैसे कार्यकर्ताओं को स्वतंत्रतासंग्राम में अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और उनके परिजनों से मिलने का अवसर उपलब्ध कराया।

यात्रा के दौरान जहां एक ओर हम सबको स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों से जुड़ने का मौका मिला वही  बर्बाद हो रही देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं,  बढ़ रही आर्थिक असमानता महंगाई-बेरोजगारी एवं सामाजिक वैमनस्य को लेकर आमजन के अंदर बेचैनी साफ तौर पर देखने को मिली।

हमे जनता के बीच फैली इस बेचैनी को दूर करने के लिये मजबूती से प्रयास करने की आवश्यकता है।

घर घर तिरंगा या हर घर तिरंगा भारत सरकार की योजना कांग्रेस पार्टी की वैचारिक जीत है एक खास विचारधारा के लोग जो आजादी के बाद से अब तक तिरंगा का विरोध करते रहे अब तिरंगा हाथों में लेकर घूम रहे हैं।  भारतीय स्वाधीनता संग्राम हो, संविधान हो, आरक्षण हो, जनसंख्या नियंत्रण हो, कमप्यूटर हो, या तिरंगा, उस विचारधारा ने सबका विरोध किया। पर धीरे-धीरे सब समझ में आने लगा कि कांग्रेस विजनरी सोच की विचारधारा है जो देशहित मे सबसे बेहतर सोच रखती है।

 ( लेखक उत्तरप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं, यह लेख उनके निजी अनुभवों पर आधारित है )

 

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