जुबिली न्यूज डेस्क
गोरखपुर। बिहार के बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी को गिरफ्तार किया गया है। गोरखपुर की कैन्ट पुलिस व एसओजी की टीम मंगलवार की रात से बिहार में डेरा डाले थी। पुलिस ने राजन तिवारी को रक्सौल इलाके से अरेस्ट किया गया है।टीम में शामिल कैन्ट थाने के विश्वविद्यालय चोकी इंचार्ज अमित चौधरी व एसओजी प्रभारी मनीष यादव ने बिहार पुलिस के मदद से राजन तिवारी को गुरुवार की सुबह अरेस्ट किया। टीम उसे लेकर गोरखपुर के लिए रवाना हो गयी है। देर शाम तक राजन को गोरखपुर कोर्ट में पेश किया जाएगा। वह नेपाल भागने की फिराक में थे। वांछित राजन तिवारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई मुकदमे दर्ज हैं। यूपी पुलिस ने राजन तिवारी पर 20 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा है।
यूपी में इतने मुकदमे दर्ज
राजन तिवारी मोतिहारी के गोविंदगंज से विधायक रह चुके हैं। उनके खिलाफ बिहार और यूपी में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अकेले गोरखपुर में उसपर 36 से ज्यादा मुकदमे है। वह कैन्ट थाने में दर्ज गैंगेस्टर के मुकदमे में वांछित था और करीब 60 एनबीडब्ल्यू कोर्ट से जारी था। पुलिस की तीन टीमें सीओ कैन्ट श्यामदेव बिंद की अगुवाई में लगातार 1 महीने से दबिश दे रही थी।
मोतिहारी पुलिस को सूचना मिली कि राजन तिवारी नेपाल भागने की फिराक में हैं और वे मोतिहारी में छिपे हुए हैं। इसकी सूचना यूपी पुलिस को दी गई। इसके बाद हरैया ओपी अध्यक्ष की मदद से उत्तरप्रदेश की पुलिस ने पूर्व विधायक राजन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया है। पूर्व विधायक की गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए आगे की प्रक्रिया में जुट गई है। मोतिहारी के एसपी कुमार आशीष ने राजन तिवारी की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
बता दे कि राजन का नाम यूपी के टॉप 61 माफिया की लिस्ट में शुमार है। उनपर गोरखपुर कैंट थाने में दर्ज 1996 के हत्या के दो मामलों में आरोपी बनाया गया था। इस केस में गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला भी सहआरोपी थे।
राजन तिवारी का यूपी से लेकर बिहार तक जलवा
राजन तिवारी एक ऐसा बाहुबली नेता है जिसका जलवा यूपी से लेकर बिहार तक देखने को मिला है। इस पर यूपी और बिहार में 40 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजन तिवारी ने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ली थी, जिसपर काफी विवाद हुआ था। इसके बाद वो पार्टी से साइडलाइन कर दिए गए।
बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी 17 साल से कोर्ट से जारी एनबीडब्ल्यू के बाद भी गायब था।
गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला गैंग
यूपी के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का गैंग ज्वाइन कर राजन तिवारी ने जवानी के दिनों में साफ कर दिया था कि वह इसी राह पर चलेंगे। पहली बार राजन तिवारी राष्ट्रीय स्तर पर तब फेमस हुए जब यूपी सरकार के विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में उनका नाम आया। यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही मूल रूप से गोरखपुर कैंट के निवासी थे। 24 अक्टूबर 1996 को वह गोलघर कार्यालय से अपने घर जा रहे थे, वे कैंट में एक लॉज के पास पहुंचे तो उनकी कार पर बदमाशों ने जमकर फायरिंग की थी। हमले में शाही की जांघ में गोली लगी थी। लेकिन उनके गनर जयराम की मौत हो गई थी। इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि सबूतों के अभाव में राजन तिवारी को 2014 में बरी कर दिया गया था।
योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के साथ ही सभी जिलों से पुलिस ने नए सिरे से माफिया की सूची बनानी शुरू की थी और 100 दिन में उनके खिलाफ कार्रवाई का लक्ष्य निर्धारित किया था। पूरे प्रदेश में 61 माफियाओं की सूची तैयार हुई थी। जिसमें गोरखपुर जिले से बिहार के पूर्व विधायक राजन तिवारी का नाम भी शामिल किया गया है। राजन तिवारी के केस और सम्पत्ति की पुलिस ने पड़ताल शुरू कर दी थी।
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तिवारी के खिलाफ कई बार एनबीडब्ल्यू जारी
हालांकि जब कोर्ट में जांच शुरू हुई तो मामला कुछ और ही निकला और इसी दौरान गैंगस्टर के एक केस की जानकारी हुई जिसमें श्रीप्रकाश को गैंग लीडर तो वहीं राजन तिवारी व अन्य को सक्रिय सदस्य बताया गया था। गैंगस्टर की इस फाइल की जांच में पता चला कि 2005 से राजन तिवारी के खिलाफ कई बार एनबीडब्ल्यू जारी हो चुका है और पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। यह प्रकरण जैसे ही सामने आया उसके बाद पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया।जिसके बाद एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई की निगरानी और सीओ कैंट श्याम विंद के नेतृत्व में गोरखपुर एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर ने टीम गठित की और राजन की गिरफ्तारी का लक्ष्य दिया। टीम में एसएचओ कैंट, एसओजी और सर्विलांस टीम को लगाया गया था। जिसे बिहार के रक्सौल से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की।
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