जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 11 अगस्त, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। धर्म शास्त्रों की माने तो रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ये दिन भाई और बहनों के लिए बेहद खास है।
रक्षाबंधन पर कितने घंटे का शुभ मुहूर्त?
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 53 मिनट तक
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से लेकर 03 बजकर 32 मिनट तक
- अमृत काल- शाम 06 बजकर 55 मिनट से 08 बजकर 20 मिनट तक
आज कैसे बांधे रक्षा सूत्र, क्या है पूजा विधि’
- पहले स्नान करके भगवान की पूजा-आराधना करें और अपने-अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र बांधे।
- पूजा के बाद बहनें राखी की थाली सजाएं।
- पूजा की थाली में रोली, अक्षत,कुमकुम, रंग-बिरंगी राखी, दीपक और मिठाई रखें।
- शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए बहनें भाईयों के माथे पर चंदन, रोली और अक्षत से तिलक लगाएं।
- इसके बाद भाई के दाएं हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे और भाई को मिठाई खिलाएं।
- अंत में बहनें भाई की आरती करते हुए अपने इष्टदेव का स्मरण करते हुए भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करें।
- रक्षासूत्र बांधते हुए आज इस मंत्र का जाप का जरूर करें।
रक्षाबंधन का पर्व कैसे हुआ आरंभ ?
पाताल के राजा राजा बलि के हाथ में लक्ष्मी जी ने राखी बांधी थी और उनको अपना भाई माना था और इसके बाद नारायण जी को आजाद किया था। ये दिन सावन पूर्णिमा का था। 12 साल इंद्र और दानवों के बीच युद्ध चला। इंद्र थक गए थे और दैत्य शक्तिशाली हो रहे थे।
इंद्र उस युद्ध से खुद के प्राण बचाकर भागने की तैयारी में थे। इंद्र की इस व्यथा को सुनकर इंद्राणी गुरु बृहस्पति के शरण में गई। गुरु बृहस्पति ने ध्यान लगाकर इंद्राणी को बताया कि यदि आप पतिव्रत बल का प्रयोग करके संकल्प लें कि मेरे पति सुरक्षित रहें और इंद्र के दाहिने कलाई पर एक धागा बांध दें, तो इंद्र युद्ध जीत जाएंगे। इंद्राणी ने ऐसा ही किया। इन्द्र विजयी हुए और इंद्राणी का संकल्प साकार हुआ। भविष्य पुराण में बताए अनुसार रक्षाबंधन मूलत: राजाओं के लिए था।