राजेंद्र कुमार
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव को एक और राजनीतिक झटका लगा है. राष्ट्रपति चुनावों में भी अखिलेश यादव की सियासत फेल हो गई. और विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से उत्तर प्रदेश में बिखराव से जूझ रहा विपक्षी गठबंधन राष्ट्रपति चुनावों में भी बिखरा गया. जिसके चलते सपा और सहयोगी साथियों के वोटों को एकजुट रखने संबंधी सपा मुखिया अखिलेश यादव के सारे प्रबंध अधकचरे साबित हुए. और एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को यूपी में घोषित समर्थन से भी अधिक वोट मिल गए, जबकि विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तय मतों से भी कम वोट मिले.
इसकी वजह है सपा गठबंधन के विधायकों का क्रॉस वोटिंग करना. विपक्ष के कुल आठ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. द्रौपदी मुर्मू को यूपी में मिले वोटों से यह खुलासा हुआ है. अब अखिलेश यादव को यह पता करना है कि सपा गठबंधन में वह आठ भितरघाटी कौन हैं जिन्होंने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है.
राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम यह बताते हैं कि यूपी में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 287 मत मिले हैं. उन्हें भाजपा गठबंधन के 273 विधायकों के अलावा बसपा के एक विधायक, सुभासपा के पांच, जनसत्ता दल के दो और सपा के शिवपाल सिंह यादव का समर्थन मिला है. ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के खाते में 282 वोट आने चाहिए थे, लेकिन उन्हें पांच वोट ज्यादा मिले. वह भी तीन वोट इनवैलिड होने के बाद. यानी कुल आठ विधायकों ने यूपी में क्रॉस वोटिंग की. और ऐसा करने वाले आठों विधायक सपा गठबंधन के ही हैं. यह दावा अब सपा नेता ही कर रहे हैं.
इन सपा नेताओं के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को चुनौती दे रहे यशवंत सिन्हा के पास सपा के 111, रालोद के आठ और कांग्रेस के दो विधायक समेत कुल 121 वोट थे. मतदान के दिन सपा के एक विधायक वोट देने आए नहीं. शिवपाल सिंह पहले ही द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर चुके थे. इसके बाद भी यशवंत सिन्हा को विपक्ष के मिले सिर्फ 111 वोट.
इन मतों में अगर तीन इनवैलिड वोट भी जोड़ दें तो भी यशवंत सिन्हा को निर्धारित संख्या से पांच वोट कम मिले. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि सपा के विधयाकों ने एकजुट होकर यशवंत सिन्हा को वोट देने के बात अखिलेश यादव के निर्देश की अनदेखी की. अखिलेश यादव ने यह निर्देश पार्टी विधायक के घर हुई डिनर पार्टी में मौजूद सपा के विधायकों को दिया था. यह डिनर पार्टी सुल्तानपुर के सपा विधायक के घर पर मतदान के एक दिन पूर्व हुई थी. इसके बाद भी अखिलेश यादव की वर्किंग से खफा कई मुस्लिम विधायकों ने यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट नहीं दिया. जिनमें शहजिल इस्लाम का नाम भी लिया जा रहा है.
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फिलहाल अब अखिलेश यादव को उन विधायकों की पहचान कर उनकी नाराजगी को दूर करने की जरूरत है, जिन्होंने उनके निर्देश की अनदेखी कर द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया. अन्यथा हर चुनावों के अखिलेश यादव की सियासत ऐसे की फेल होती रहेंगी. यूपी के राजनीतिक विशेषज्ञों का यही मत है. इन लोगों का कहना है कि यूपी की राजनीति में योगी आदित्यनाथ अब हर हर चुनावों में अखिलेश यादव पर भारी पड़ रहे हैं.