जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाले दल अब समाजवादी पार्टी से अपना पल्ला झाड़ने में लग गए हैं. महान दल के मुखिया केशव देव मौर्य ने तो गठबंधन तोड़ने का एलान भी कर दिया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी महान दल के रास्ते पर चलती हुई दिखाई दे रही है. ओमप्रकाश राजभर ने हालांकि अभी गठबंधन तोड़ने के बारे में कोई बात नहीं कही है लेकिन अपने बेटे अरविन्द राजभर को विधान परिषद का टिकट नहीं देने की वजह से वह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से काफी नाराज़ बताये जा रहे हैं.
ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव से कहा था कि उनके बेटे अरविन्द को समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानपरिषद भेज दें लेकिन अखिलेश ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने अखिलेश पर गठबंधन की अनदेखी करने का आरोप लगाया.न उन्होंने कहा कि जब वह अपने सहयोगी दल को राज्यसभा भिजवा सकते हैं तो दूसरे सहयोगी दल को विधानपरिषद तो भेजना ही चाहिए था.
अखिलेश यादव के सामने दिक्कत यह है कि इस विधानपरिषद के चुनाव में अखिलेश सिर्फ चार लोगों को ही विधानपरिषद भेज सकते हैं. बीजेपी से समाजवादी पार्टी में आये दलित नेता स्वामी प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनाव हार गए थे इसलिए अखिलेश यादव ने उन्हें विधानपरिषद भेजने का फैसला किया क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य बड़े नेता हैं.
अखिलेश यादव ने मुकुल यादव उर्फ़ अंशुल को विधानपरिषद का टिकट दिया क्योंकि अंशुल के पिता सोबरन सिंह यादव ने अखिलेश यादव के लिए करहल सीट छोड़ दी थी. इसके अलावा सहारनपुर के शाहनवाज़ खान और सीतापुर के जासमीर अंसारी को विधानपरिषद का टिकट दिया है.
विधानपरिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी सिर्फ चार सीटों पर ही चुनाव जीत सकती है. बीजेपी ने नौ प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रवक्ता पीयूष मिश्रा ने ट्वीट कर अखिलेश यादव के फैसले को निराशाजनक बताया है. उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजे जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी पार्टी 38 सीटों पर लड़ी और सिर्फ आठ पर जीती जबकि ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने 16 पर लड़कर छह सीटें जीतीं फिर भी विधानपरिषद चुनाव में हमारी उपेक्षा की गई.
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