जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। एमबीबीएस डिग्रीधारी या एलोपैथी के रजिस्टर्ड डॉक्टर्स को लेकर बड़ी खबर आ रही है। एमबीबीएस डिग्रीधारी या एलोपैथी के रजिस्टर्ड डॉक्टर्स को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन ने बड़ा एलान किया है।
इसमें घोषणा की गई है कि अब एमबीबीएस डिग्रीधारी या एलोपैथी के रजिस्टर्ड डॉक्टर्स आने वाले समय में अपने नाम के आगे डॉक्टर की बजाय मेडिकल डॉक्टर लिख सकेंगे।
नेशनल मेडिकल कमीशन ने इसको लेकर पूरा खाका तैयार कर लिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019 के तहत रजिस्टर्ड डॉक्टरों के लिए पेशेवर आचार संहिता का जो मसौदा जारी किया है, उसमे इसका प्रावधान भी किया गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के इस कदम से अब एलोपैथी के डॉक्टरों की पहचान आसानी से की जा सकेगी।
गौरतलब हो कि कई ऐसे लोग है जो आगे डॉक्टर लिखते हैं। चाहे वो एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा के रजिस्टर्ड डॉक्टर्स लिखते हैं जबकि जो लोग पीएचडी कर लेते हैं वो भी अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखते हैं।
इसके आलावा कई ऐसे लोग है जिनको डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी जाती है, वैसे लोग भी अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखते हैं। इस स्थिति में ये पहचाना काफी मुश्किल भरा रहता है कि कौन मेडिकल डॉक्टर है और कौन नहीं है।
अब नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस नये एलान से एलोपैथी के डॉक्टरों की अलग से पहचान की जा सकेगी। इतना ही नहीं ये लोग अब अपने नाम के आगे मेडिकल डॉक्टर लिख सकेंगे।
एनएमसी की तरफ से सोमवार को जारी किए गए मसौदे के मुताबिक, अगर कोई डॉक्टर विदेश से पढक़र आया है तो उसी डिग्री के नाम के साथ उसका उल्लेख होगा, जिसे एनएमसी ने भारतीय डिग्री या डिप्लोमा के समकक्ष मंजूरी दी होगी।
बता दें कि कोई भी एलोपैथी डॉक्टर किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञता के होने का दावा तभी कर सकेगा, जब उस विषय में उसने अलग से कोई कोर्स किया हो। केवल अनुभव के आधार पर डॉक्टर विशेषज्ञता का दावा नहीं कर सकते हैं।