जुबिली स्पेशल डेस्क
ज्ञानवापी केस में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और फिर तय करते हुए अब इस केस की अगली तारीख देते हुए 26 मई तय कर दी है।
जिला जज ने साफ कर दिया है कि 26 मई को केस की मेंटेनेबिलिटी यानी 7-11 पर सबसे पहले सुनवाई होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों से ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट पर एक हफ्ते में आपत्तियां दाखिल करने को बोला है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले से जुड़ीं सभी याचिकाओं को सेशन कोर्ट से जिला अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
यह भी पढ़ें : जरा सी बात पर मामा ने बहा दिया अपने ही भांजे का खून
यह भी पढ़ें : इस्लाम छोड़ बना हिन्दू और अब लेना चाहता है संन्यास !
यह भी पढ़ें : मौसम ने करवट बदली तो चारधाम यात्रा को लगा ब्रेक
क्या है ज्ञानवापी केस का पूरा इतिहास
इस पूरे मामले में बनारस की एक कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। इस याचिका पर गौर करे तो इसमें ज्ञानवापी मस्जिद निर्माण के संबंध में एक दावा किया गया था। दावा यह था कि औरंगजेब के आदेश पर 16वीं शताब्दी में उनके शासनकाल के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को ध्वस्त करके यह मस्जिद बनाई गई थी। याचिकाकर्ताओं और स्थानीय पुजारियों ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी थी। इनके अनुरोध पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2019 में एएसआई सर्वे पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
ताजा विवाद क्या है
दरअसल विवाद तब और बढ़ गया जब पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर माता श्रृंगार गौरी और देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा-अर्चना करने की अनुरोध मांगी है। इसके बाद पिछले महीने वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वे का आदेश दिया था। का आदेश दिया था। इसके लिए इन पांच महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा और दर्शन का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया है।