जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. साल भर पहले मई 2021 में चित्रकूट जेल में हुए कथित गैंगवार और एनकाउंटर के मामले में यूपी सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत को जाँच सौंपे जाने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जस्टिस शशिकांत द्वारा की जा रही जांच के समय तक अपनी जाँच को बंद कर दिया है. जस्टिस शशिकांत की जाँच में जो तथ्य निकलकर सामने आएंगे उन्हें कारागार विभाग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजेगा.
मई 2021 में चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार और एनकाउंटर मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर और डॉ. नूतन ठाकुर का कहना है कि इस मामले में कम से कम दस ऐसे कारण हैं जो यह साबित कर देते हैं कि प्रशासन द्वारा बताई गई घटना पूरी तरह से झूठी है. शिकायत में कारण गिनाते हुए अमिताभ और नूतन ठाकुर ने कहा कि जेल में अचानक से एक फर्स्ट क्लास हथियार आ गया और उस व्यक्ति के पास पहुंच गया जिसने पूर्व में अपनी हत्या की आशंका जताई थी.
इस मामले में प्रशासन को सिर्फ पांच चुने हुए लोग ही गवाह के रूप में मिले. अंशु दीक्षित ने पूर्व में जेल में जेल प्रशासन तथा एसटीएफ के एडीजी पर अपनी हत्या की साजिश की बात साफ़ तौर पर कही थी और उसकी मौत वास्तव में लगभग उसी तरीके से हुई जैसी कि उसने आशंका व्यक्त की थी. मुन्ना बजरंगी के बाद यूपी में एक ही तरीके से दूसरी बार जेल में अपराधियों की संदिग्ध मौत होना, दोनों मामलों में पूर्व में ही एक ही अफसर पर आशंका जताना और चित्रकूट जेल में सीसीटीवी कैमरा ख़राब होना शामिल हैं.
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