जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कम्पनी नार्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड इन दिनों फिर चर्चा में है. चर्चा की वजह बड़ी दिलचस्प है. इस कम्पनी का भाईचारा वाकई कमाल का भाईचारा है. इतनी बड़ी कम्पनी का डिप्टी मैनेजर अपना पैसा डम्पर संचालक के घर पर रखता है. पैसा भी कोई दस-बीस-पचास हज़ार नहीं बल्कि करोड़ों में. यह पैसा एक दिन चोरी हो जाता है तो डम्पर संचालक की पत्नी भागी-भागी पुलिस के पास पहुँच जाती है. पुलिस भी पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी निभाती है और चोरों को ट्रैक करते हुए ओडीशा तक पहुँच जाती है वहां से छह सूटकेस में भरा हुआ पैसा और 850 ग्राम सोना लेकर लौट आती है. पैसा मिल गया, सोना मिला गया मगर किसी को ज़रूरत भी महसूस नहीं होती कि उस डिप्टी मैनेजर से पूछे कि इतना पैसा कहाँ से लाये हो. पैसा तुम्हारा है तो फिर डम्पर संचालक के घर पर क्यों रखा है.
मामला 21 मार्च 2021 का है जयंत कालोनी में एनसीएल के जयंत प्रोजेक्ट में डम्पर संचालक सुदीप्तो मेहरा के घर से पांच-छह बड़े सूटकेस चोरी हो गए. सुदीप्तो की पत्नी ने तत्काल पुलिस से सम्पर्क साधा. चोरी की सूचना दी. बताया कि सूटकेस में पैसा था. डिप्टी मैनेजर खनन सरोज कुमार पाणिग्रही का पैसा था.
सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हो गई. जिस मकान से चोरी हुई थी उसके आसपास के सभी मोबाइल फोन ट्रैक किये. एक नंबर ओडीशा तक चला गया था. ट्रैक करते हुए पुलिस भी ओडीशा तक पहुँच गई. वहां से सुदीप्तो मेहरा के रिश्तेदार अनिल मेहरा और उसके तीन दोस्तों सुनील, विष्णु और अनिल को गिरफ्तार कर ले आई. नौ लाख रुपये की नगदी और 850 ग्राम सोना बरामद हुआ. यह राशि लिखापढ़ी में है लेकिन हकीकत में करोड़ों रुपये बताई जाती है.
जिन डिप्टी मैनेजर का यह पैसा बताया जा रहा है वह पिछले 15 साल से यहाँ तैनात हैं जबकि किसी संवेदनशील पोस्टिंग पर कोई तीन साल से ज्यादा नहीं रह सकता. इनका ट्रांसफर नहीं होता क्योंकि यह पिछले सीएमडी और मौजूदा वरिष्ठ अधिकारियों के बेहद करीबी अधिकारी माने जाते हैं. इतने बड़े मामले में कार्रवाई के नाम पर डम्पर संचालक और डिप्टी मैनेजर को कारण बताओ नोटिस जारी कर खामोशी से मामले को दबा दिया गया.
इस मामले इन्डियन पीएसयू ने गंभीर सवाल उठाये. नौ मई और 12 मई 2022 को कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल, मुख्य सतर्कता अधिकारी एस.के. सदांगी, नार्दन कोलफील्ड्स के सीएमडी अमित कुमार श्रीवास्तव और वहां के मुख्य सतर्कता अधिकारी को ई-मेल कर इस सम्बन्ध में सवाल पूछे लेकिन खामोशी अभी तक छाई हुई है.
इन अधिकारियों से पूछा गया है कि सरोज कुमार पाणिग्रही के पास इतनी नगदी कहाँ से आई? उन्होंने अपना पैसा डम्पर संचालक सुदीप्तो मेहरा के घर पर क्यों रखा. इन दोनों को एनसीएल ने कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं दिया. डिप्टी मैनेजर पर आय से अधिक सम्पत्ति का मामला क्यों नहीं चला. अपना अवैध धन डम्पर संचालक के घर पर रखने के सम्बन्ध में उनसे क्यों नहीं पूछा गया. इन सारे सवालों पर सिर्फ खामोशी छाई हुई है.