जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीय रेलवे इस बार भी केंद्र सरकार की ओर से दिए गए संपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा है। सरकार द्वारा रेलवे को 57,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया था लेकिन रेलवे सिर्फ 30,000 करोड़ रुपये ही जुटा पाया है।
लगातार यह दूसरी बार है जब रेलवे टारगेट हासिल नहीं कर पाया है। रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे यह लक्ष्य इसलिए हासिल नहीं कर पा रहा है, क्योंकि वह प्राइवेट सेक्टर में ट्रेनें चलाने या पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से स्टेशनों का आधुनिकीकरण नहीं कर सका है।
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पिछले साल केंद्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी संपत्ति मुद्रीकरण के लिए 6 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया था जिसमें रेलवे को 17,810 करोड़ रुपये का टारगेट मिला था, लेकिन रेलवे केवल 800 करोड़ रुपये की ही कमाई कर सका। मतलब टारगेट का केवल 4.5 प्रतिशत।
लेकिन ओवरऑल लक्ष्य की प्राप्ति के लिहाज से भारत सरकार के लिए नतीजे अच्छे रहे, क्योंकि उसने 88000 करोड़ का टारगेट रखा था और उसे 96,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए।
वहीं केंद्र सरकार ने इस साल 1.6 लाख करोड़ रुपये के मुद्रीकरण का लक्ष्य रखा है। मोदी सरकार को माइनिंग सेक्टर से बहुत उम्मीदें हैं, जो कि अतिरिक्त संपत्ति मुद्रीकरण में लगातार बड़ा योगदान दे रहा है।
केंद्र सरकार ने कोयले और खदानों के लक्ष्य को साढ़े पांच गुना बढ़ाकर 6 हजार करोड़ रुपये से 33,281 करोड़ रुपये कर दिया है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक,केंद्र सरकार ने सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए अभी तक कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है। हालांकि रिजॉर्ट अशोक जैसी संपत्तियों के पुनर्विकास के प्रस्तावों पर सरकार काम कर रही है।
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वहीं रेलवे को वित्त मंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटेरिएट दोनों ही लगातार लक्ष्य की ओर ध्यान दिलाते रहे, लेकिन जिस तरह से उसने प्रदर्शन किया है, उससे दोनों ही विभाग बेहद अचंभे में हैं।
दरअसल रेलवे को प्राइवेट सेक्टर के साथ भागीदारी पर जिस प्रकार से काम करना चाहिए था, वह नहीं कर पा रहा है। रेलवे स्टेशनों के डेवलेपमेंट को लेकर वर्षों से डिस्कशन चल रहा है, लेकिन इस फ्रंट पर अभी तक कुछ ठोस नहीं हो पा रहा है।