- आह-व-बुका व अकीदत के साथ निकला तारीखी गिलीम का जुलूस
जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ। मुसलमानों के खलीफा हजरत अली अलैहिस्सलाम के सर पर जरबत की याद में (19 रमज़ान का जुलूस) गिलीम के ताबूत का जुलूस पूरे अकीदत व एहतेराम के साथ बरामद हुआ। जुलूस रवायती रास्ते से होता हुआ पाटानाला स्थिति हकीम मोहम्मद तकी की जानिब रवाना हुआ। जुलूस से पहले नमाज-ए-फज्र अदा की गई। नमाज के बाद मजिलस का आयोजन किया गया जिसमें मौलाना ने जरबत की घटना को बयान किया मजसिल के बाद शबीहे गिलीम का ताबूत बरामद हुआ।
उल्लेखनीय है कि 19 रमजान को सुबह की नमाज़ पढ़ते वक्त मौला-ए-कायनात हजरत अली अलैहिस्सलाम के सर पर इब्ने मुलजिम ने ज़हर बुझी तलवार से वार किया था. जिसकी वजह से मौला अली 21 रमजान की सुबह शहीद हो गए थे. यह गिलीम का जुलूस उसी मंज़र को याद दिलाता है जब सर पर तलवार लगने के बाद उन्हें ज़ख़्मी हालत में घर लाया गया था.
ताबूत की जियारत के लिए खड़े अकीदतमंदान ने आंसूओं के सैलाब के साथ ताबूत का बोसा लिया। जुलूस अपने रवायती रास्ते से मंसूर नगर, गिरधारी सिंह इंटर कालेज, बिल्लौचपुरा, नक्खास होता हुआ मंजिल की तरफ बढ़ रहा था। भारी संख्या में बच्चे, औरतों के साथ बुज़ुर्ग अकीदतमंदान भी ताबूत की जियारत के लिए सड़क के दोनों तरफ खड़े नजर आए।
जुलूस के आगे-आगे मर्सिया खान मर्सिया ख्वानी करते हुए चल रहे थे। जब उन्होंने यह पढ़ा कि नाला था जिब्रईल का, खालिक दुहाई है, सजदे में तेरे शेर ने तलवार खाई है यह सुनकर अजादार खूब रो रहे थे, मर्सिया ख्वान ने जब यह पढ़ा कि- ले आई एक रात कयामत की वह शहर, जब आसमां फट के गिरा था जमीन पर। जरबे सितम से जख्मी नफ्से नबी का सर, टकरा रहे हैं मस्जिदे कूफा के बाम-व-दर, रो-रो के कह रहे हैं पत्थर अली-अली, चिल्ला रहे हैं मस्जिदो मिम्बर अली-अली। यह सुनकर अजादारों ने खूब आंसू बहाये।
जुलूस में शामिल अकीदतमंदान गिरिया करते हुए चल रहे थे। जुलूस जैसे ही शिया कालेज के नजदीक पहुंचा अकीदतमंदान की संख्या में और इजाफा हो गया। जुलूस के पाटानाला पहुंचते ही या अली मौला हैदर मौला की सदा के साथ सीना जनी का सिलसिला जारी हो गया।
विक्टोरिया स्ट्रीट या अली मौलाना हैदर मौला की आवाज़ से गूंज उठा। यहां पर अलविदाई मजसिल को मौलाना मीसम जैदी ने खिताब करते हुए मस्जिदे कूफा में हजरत अली अलैहिस्सलाम के सर पर इब्ने मुलजिम के जरिए जरबत की घटना और उसके बाद के मसायब बयान किए।
मजलिस के बाद आह-व-बोका के दरमियान अजादारों ने ताबूत को हकीम मोहम्मद तकी तक ले जाने के लिए ख्वातीन के सिपुर्द कर दिया। मुसलमानों के खलीफा हजरत अली अलैहिस्सलाम की याद में निकले जुलूस के मद्देनज़र जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर रखे थे। जुलूस के साथ भारी संख्या में अर्धसैनिक बल दस्ते के साथ आरएएफ, पीएसी और पुलिस मौजूद थी। आला अधिकारी खुद भी जूलूस के साथ चल रहे थे।