Saturday - 2 November 2024 - 5:43 PM

आखिर क्यों यूरोप को छोड़कर कश्मीर की ओर जा रहे हैं टूरिस्ट

जुबिली न्यूज डेस्क

इन दिनों कश्मीर पर्यटकों से गुलजार है। डल झील खिल उठा है। हाउसबोट और होटल अगले दो-तीन हफ्ते के लिए वे पूरी तरह बुक हैं।

कश्मीर में इस साल इतने पर्यटक पहुंच रहे हैं जितने पिछले दस साल में कभी नहीं आए। ‘धरती का स्वर्ग’ और ‘पूर्व का स्विट्जरलैंड’ जैसे विशेषणों से सुसज्जित कश्मीर मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक की पसंदीदा रही है।

जानकारों का कहना है कि कश्मीर में इस साल दस साल का रिकॉर्ड टूटने वाला है। जनवरी से अब तक तीन लाख 40 हजार पर्यटक कश्मीर की सैर कर चुके हैं और आने वाली गर्मियों में इनके और अधिक बढऩे की उम्मीद है।

जानकारों का कहना है कि कोरोना महामारी से राहत और सुरक्षा स्थिति में सुधार का असर कश्मीर में नजर आ रहा है।

केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद धारा 370 खत्म करके उसका विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद
घाटी के हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। कई महीने तक वहां कर्फ्यू रहा था, जिसकी वजह से वहां पर्यटन एकदम बंद हो गया था।

उसके बाद कोरोना महामारी की मार पड़ी और पिछले दो साल से पर्यटन पर आधारित कारोबार लगभग बंद हो गए थे।

लेकिन अब कश्मीर में हालात बिल्कुल अलग नजर आ रहा है। पर्यटकों की जुटने वाली भीड़ से कश्मीर बिल्कुल अलग नजर आ रहा है।

जम्मू कश्मीर में पर्यटन सचिव सरमद हफीज कहते हैं, “इस साल हम सबसे अधिक पर्यटकों की आमद देख रहे हैं। सिर्फ मार्च में 1.8 लाख टूरिस्ट आए हैं। अप्रैल में यह संख्या और बढ़ सकती है।”

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हफीज कहते है, पर्यटन की संभावना रखने वाले अन्य कई इलाकों की पहचान की गई है और उनका प्रचार किया जा रहा है।

उनका कहना है कि देश के प्रमुख शहरों में विशेष प्रचार अभियान और नई जगहों के खुलने से भी पर्यटक आकर्षित हो रहे हैं।

वहीं शिकारा चलाने वाले 54 साल के वली मोहम्मद कहते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान उनके पास कोई काम नहीं था। लेकिन अब मैं रोजाना 1000-1500 रुपये कमा रहा हैं। हमें आगे भी बढयि़ा सीजन रहने की उम्मीद है।

पहले से है बुकिंग

कश्मीर में पर्यटकों के आमद पर हाउसबोट और होटल मालिकों का कहना है कि अगले दो-तीन हफ्ते के लिए वे पूरी तरह बुक हो चुके हैं। इस आय से उन्हें पिछले कर्ज चुकाने में मदद मिल रही है।

भीड़ का आलम यह है कि टूअर ऑपरेटर कहते हैं कि उन्हें अपने ग्राहकों के लिए होटल नहीं मिल रहे हैं क्योंकि तमाम होटल भरे हुए हैं। इसके साथ ही हवाई किराये भी बढ़ गए हैं।

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75 साल के टूअर ऑपरेटर गुलाम हसन कहते हैं कि सालों के अंतर के बाद होटल वाले, शिकारे वाले, टैक्सी ड्राइवर आदि अच्छा व्यवसाय कर रहे हैं।

हसन बताते हैं, “होटल के कमरों का किराया 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है और खूब बुकिंग हो रही हैं। ”

कश्मीर आने की क्या है वजह

देश के गुजरात, दिल्ली, मुंबई और अन्य समृद्ध इलाकों से पर्यटक अब यूरोप को छोड़कर कश्मीर की ओर जा रहे हैं, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण विदेशों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

जानकारों का कहना है कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लोगों में कश्मीर को लेकर जो असुरक्षा का भाव खत्म हो गया है।

मैस्कट ट्रैवल्स के मैनेजिंग पार्टनर मोहम्मद यासीन तूमान कहते हैं, “हमारे पास महंगी लग्जरी जगहों की कमी है। कमर्शल ट्रांसपोर्ट सेवा भी उतनी अच्छी नहीं है, जो एक बड़ी चुनौती है।”

लेकिन संख्या को देखकर लगता नहीं कि पर्यटक इन बातों की परवाह कर रहे हैं।

पर्यटन भी है कश्मीर की अर्थव्यवस्था का आधार

कश्मीर की अर्थव्यवस्था का आधार फूल और अन्य कई तरह की खेती के साथ-साथ पर्यटन भी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान लगभग 7 प्रतिशत है।

श्रीनगर की डल झील दुनियाभर में मशहूर है और यहां के शिकारों की सैर के लिए ही बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पास ही एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है और ग्लेशियर व पहाडिय़ा भी लोगों को आकर्षित करती हैं।

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