Saturday - 26 October 2024 - 11:16 AM

…तो सच में मोदी सरकार का यह बिल ‘मानवता के साथ क्रूर मजाक’ है?

जुबिली न्यूज डेस्क

जब भी संसद का कामकाज शुरु होता है सरकार कई बिल पास कराती है। अधिकांश बिलों पर कोई ध्यान ही नहीं देता लेकिन हर साल किसी न किसी एक बिल बवाल जरूरत मचता है।

इस बार भी एक बिल पर बवाल मचना शुरु हो गया है। सोमवार को लोकसभा में हिरासत में लिए गए लोगों तक की निजी जानकारियों और शरीर के नाप आदि को जुटाने का अधिकार देने वाला दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 पास हो गया है।

इस बिल का लगभग पूरे विपक्ष ने विरोध किया था। संसद के निचले सदन में क्रिमिनल प्रोसीजर (शिनाख्त) बिल पास होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस कानून का कोई गलत इस्तेमाल नहीं होगा।

गृह मंत्री ने कहा, “सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि इस कानून का कोई गलत इस्तेमाल ना हो।”

लेकिन इस बिल को लेकर विपक्षी दलों की अपनी चिंताएं हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून का इस्तेमाल अधिकारियों द्वारा आम लोगों को परेशान करने में किया जा सकता है। इसके अलावा इस कानून के तहत जुटाई गईं आम लोगों की जानकारियों के गलत प्रयोग की आशंकाएं विपक्षी दलों के अलावा मानवाधिकार और डेटा प्राइवेसी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता भी जताते रहे हैं।

वहीं शिवसेना सदस्य विनायक राउत ने इस बिल को ‘मानवता के साथ क्रूर मजाक’ बताया।

सभी दलों की मांग पर गृह मंत्री अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि बिल को संसद की स्थायी समिति को भेजा जाएगा।

बिल पारित करने से पहले संसद की बहस के जवाब में गृह मंत्री शाह ने कहा, “यह बिल सुनिश्चित करेगा कि जांच करने वाले अपराध करने वालों से दो कदम आगे रहें।”

शाह ने कहा कि मानवाधिकारों की बात करने वालों को पीडि़तों के अधिकारों की भी बात करनी चाहिए।

यह भी पढ़ें :  फेसबुक के चलते घरेलू पचड़े में फंसे मोदी सरकार के ये मंत्री, जानिए मामला

यह भी पढ़ें :  आखिर क्यों केंद्रीय मंत्री रिजजू को कहना पड़ा-अभी मैं जिंदा हूं 

निचली सदन में लगभग समूचे विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था। विरोध करने वालों में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल के सांसद भी शामिल थे।

विपक्षी सांसदों ने आशंका जताई कि पुलिस और अन्य कानून एजेंसियां इस कानून का इस्तेमाल आम नागरिकों को परेशान करने के लिए कर सकती हैं। यह तर्क भी दिया गया कि अब तक देश में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं है, ऐसे में डाटा जमा करना उचित नहीं है।

विपक्षी दलों में सिर्फ वाईएस जगमोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली वाईएसआई कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसने बिल का समर्थन किया।

हालांकि पार्टी के सांसद मिधुन रेड्डी ने मांग की कि सरकार गारंटी दे कि इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ नहीं होगा और डाटा की सुरक्षा की जाएगी।

समूचे विपक्ष ने मांग की कि इस बिल को संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए. इसके बावजूद सोमवार शाम को यह बिल ध्वनिमत से पास कर दिया गया।

यह भी पढ़ें : 13 छात्राओं से बलात्कार के दोषी प्रिंसिपल को मिली मौत की सजा

यह भी पढ़ें :  अब पूर्व मंत्री के सरकारी फर्नीचर साथ ले जाने पर मचा बवाल

चर्चा के दौरान कई सांसदों ने इस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई कि थाने के हेड कांस्टेबल या जेल के वॉर्डन को हिरासत में बंद लोगों से लेकर सजा पाए अपराधियों तक के ‘नाप लेने का’ अधिकार होगा।

आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने इन पंक्तियों में बदलाव की मांग की, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।

बिल पर बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह एक निर्दयी बिल है जो सामाजिक स्वतंत्रताओं का विरोधी है.”

तिवारी ने कहा कि यह बिल पहचान के मकसद से अपराधियों और अन्य लोगों के शरीर का नाप लेने और उस रिकॉर्ड को संरक्षित रखने का विकल्प देता है, जो संविधान की धारा 14, 19 और 21 के विरुद्ध है जिनमें मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं के अधिकारों की बात है।

डीएमके नेता दयानिधि मारन ने भी इस बिल को जन विरोधी और संघीय भावना के विरुद्ध बताया। उन्होंने सरकार पर एक ‘सर्विलांस स्टेट’ बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस बिल में बहुत कुछ अस्पष्ट छोड़ दिया गया है और यह नागरिकों की निजता का उल्लंघन करता है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com