विजय प्रकाश श्रीवास्तव
आज विश्व जल दिवस है। जीवन मे जल के महत्व, उसमे तेजी से आती हुई कमी तथा उसकी गुणवत्ता के गिरते स्तर पर विश्व के लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए 1993 से प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था।
अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरे ब्रह्मांड मे पृथ्वी ही मात्र एक ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन है और उसका कारण केवल यह है कि वहाँ जल और आक्सीजन दोनो उपलब्ध है।
भारत मे तो नदियों को माॅ का दर्जा दिया गया है।विश्व मे जितना जल उपलब्ध है उसका मात्र 1% भाग ही मानव के उपयोग। हेतु उपलब्ध है।शेष या तो समुद्री खारा पानी है या ग्लेशियर के रूप मे है।
उपयोग हेतु पानी दो रूपो मे मिलता है-सतही जल और भूगर्भीय जल। आज भूगर्भीय जल वैश्विक स्तर पर पेय जल का आधा हिस्सा और सिचाई का 40% आपूर्ति कर रहा है। इससे भूगर्भीय जल पर लगातार दबाव बढ रहा है।
इसके दृष्टिगत विश्व संगठन द्वारा इस वर्ष का विश्व जल दिवस का थीम Ground water: Making the Invisible Visible रखा है अर्थात भूगर्भीय जल पर मानवजनित गतिविधियो यथा बढ़ती जनसंख्या और आर्थिक व औद्योगिक विकास के बढते दबाव से तेजी से जल स्तर के गिरने और उसके प्रदूषित होने पर विश्व का ध्यान आकर्षित करना है। यदि इस ओर हम सतर्क नही हुए तो अगली पीढियाॅ हमे माफ नही करेगी।
(लेखक पर्यावरणविद है )