जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. स्वामी प्रसाद मौर्य को बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में आना रास नहीं आया. वह जिस अंदाज़ में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर बीजेपी में गए थे ठीक उसी अंदाज़ में बीजेपी छोड़कर सपा में आये थे. स्वामी प्रसाद मौर्य को कभी बसपा सुप्रीमो मायावती का बेहद करीबी माना जाता था. मायावती सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी रहे. जिस समय उन्होंने बसपा पर तमाम आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़कर बीजेपी का हाथ थामा था उस समय वह बसपा विधानमंडल दल के नेता थे. बीजेपी के टिकट पर भी वह जीते और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर अखिलेश यादव के पाले में आ खड़े हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को उम्मीद थी कि इस बार अखिलेश यादव की सरकार बनेगी और बीजेपी हारेगी. इसी वजह से समय रहते उन्होंने अपना मंत्री पद बनाये रखने के लिए समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था.
बीजेपी छोड़ते वक्त स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी पर पिछड़ों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों की भी नहीं सुनते. उन्होंने कहा था कि 2017 में बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने में उनका ही हाथ था. सपा सुप्रीमो ने भी उन्हें पार्टी में शामिल करते समय यही सोचा था कि वह कई सीटों पर समाजवादी पार्टी को जिताएंगे लेकिन वह तो अपनी सीट बचाने में भी नाकाम हो गए.
कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से चुनाव मैदान में उतरे स्वामी प्रसाद मौर्य को इस बार पार्टी बदलना भारी पड़ गया. मंत्री पद तो गया ही विधायकी भी चली गई. स्वामी प्रसाद मौर्य को भी राजनीति का मौसम वैज्ञानिक माना जाता है लेकिन इस बार वह मौसम के बारे में सही जानकारी जुटाने में चूक गए. उन्हें बीजेपी विधायक गंगा सिंह कुशवाहा के पुत्र सुरेन्द्र कुमार कुशवाहा ने हराया है. स्वामी इससे पहले पडरौना सीट से विधायक थे लेकिन इस बार उन्होंने अपनी पडरौना सीट इस डर से छोड़ दी थी कि वह आर.पी.एन.सिंह के हाथों चुनाव हार जायेंगे. उन्हें जो सीट सबसे सुरक्षित लगी थी उसी ने उन्हें विधानसभा से बेदखल कर दिया.
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