जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच अगर जंग छिड़ती है तो उसका खामियाजा भारतीयों को भी भुगतना पड़ेगा. कोरोना महामारी शुरू होने से लेकर अब तक लगातार भारत की अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुँचता रहा है. एक तरफ नौकरियों पर संकट बढ़ता रहा है तो दूसरी तरफ महंगाई भी बढ़ती चली गई है लेकिन अगर अब रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हो जाती है तो कच्चे तेल के दामों में इजाफा हो जायेगा और इसका नतीजा यह होगा की जो पेट्रोल- डीज़ल नवम्बर से अब तक स्थिर है उसमें अचानक से 10 से 15 रुपये लीटर की बढ़ोत्तरी हो जायेगी.
रूस और यूक्रेन में बढ़ते तनाव के साथ ही कच्चे तेल के दामों का ग्राफ भी ऊंचा होता जा रहा है. कच्चे तेलों के दाम में पिछले ढाई महीनों में करीब 27 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है. मौजूदा समय में कच्चा तेल 103 डालर प्रति बैरल की दर से बिक रहा है.
भारत सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल के दाम लोगों के कड़े विरोध और पांच राज्यों में चुनाव की दस्तक के मद्देनज़र घटाए थे. नवम्बर से लेकर अब तक इनके दामों में ज़रा भी इजाफा नहीं किया गया है लेकिन पांच राज्यों का चुनाव सात मार्च को खत्म हो जायेगा और 10 मार्च को चुनाव का परिणाम भी आ जायेगा. ऐसे में यह मानकर चलना चाहिए कि मार्च के दूसरे हफ्ते में पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी गैस के दामों में बढ़ोत्तरी तय है.
पेट्रोल और डीज़ल के दामों में तीन नवम्बर से बदलाव नहीं हुआ है जबकि इस बीच कच्चे तेल के दाम में 20 डालर प्रति बैरल की बढ़ोत्तरी हो चुकी है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अगर लम्बा चलता है तो कच्चे तेल के दामों में 17 डालर प्रति बैरल की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
यह माना जा रहा है कि 10 मार्च के बाद पेट्रोलियम कम्पनियाँ दामों में रोजाना कुछ पैसों की बढ़ोत्तरी शुरू करेंगी और पेट्रोल डीज़ल के दामों में 10 से 15 रुपये लीटर की बढ़ोत्तरी हो जायेगी.
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