जुबिली न्यूज डेस्क
भारत और चीन के बीच साल 2020 से एलएसी पर तनाव बना हुआ है। राजनायिक स्तर पर कई बार बातचीत के बाद भी यह तनाब खत्म नहीं हुआ। इतना ही नहीं कई बार भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की भी खबरें आ चुकी हैं।
वहीं इस सबके बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार ने बताया है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्र में पुल बना रहा है।
केंद्र सरकार ने ये बातें शुक्रवार को संसद को कही। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने संसद में लिखित जवाब देते हुए बताया,’ चीन की ओर से पैंगोंग झील पर पुल बनाया जा रहा है, जिसका भारत सरकार ने संज्ञान लिया है। इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं।”
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उन्होंने आगे कहा, ”इस अवैध कब्जे को भारत सरकार ने कभी स्वीकार नहीं किया है। सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।”
बयान में कहा गया कि पूर्वी लद्दाख में LAC पर शांति बनाए रखने के लिए भारत चीन के साथ कूटनीति और सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखे हुए है।
सरकार ने बताया, ”हमारी ये बातचीत हमेशा से तीन बिंदुओं पर केंद्रित रही हैं और आगे भी रहेंगी। ये तीन बिंदु हैं- दोनों ही पक्षों को एलएसी का कड़ाई से पालन और सम्मान करना होगा। दूसरा- दोनों ही पक्ष यथास्थिति बरकरार रखेंगे, और तीसरा कोई भी समझौता दोनों पक्षों के पूर्ण सहमति के साथ ही होगा।”
जवाब में विदेश राज्य मंत्री ने ये भी कहा कि, ”भारत सरकार ने इस बात का भी संज्ञान लिया है कि चीन की ओर से भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों का नाम बदला गया है लेकिन इस निरर्थक प्रयास से ये तथ्य नहीं बदल जाएगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा । ”
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विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि चीन का ये आठ मीटर चौड़ा पुल पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के मैदान के ठीक दक्षिण में स्थित है,जहां 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के दौरान चीनी सेना के फील्ड अस्पताल और आवास देखे गए थे।
मालूम हो कि मई 2020 में गालवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक मुठभेड़ के बाद से ही भारत और चीन के बीच इस इलाके् में गतिरोध बना हुआ है।
गलवान में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे, तब से लेकर अब तक दोनों पक्षों के 50,000 से अधिक सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है।